Monday, August 31, 2009

प्रतीति

गीत वही और राग वही है,
वही सुर, सब साज़ वही है,
गाने का अंदाज़ वही पर,
गायक ही तो बदल गये हैं।

लोग वही और देश वही है,
नाम नया, परिवेश वही है,
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं।

शिष्य वही और ज्ञान वही है,
तेजस्वी का मान वही है,
ज्ञान स्वार्थ से लिपट गया क्यों?
शिक्षक भी तो बदल गये हैं।

धर्म वही और ध्यान वही है,
वही सुमन भगवान वही है,
जो है अधर्मी, मौज उसी की,
जगपालक क्या बदल गये हैं?

32 comments:

अमिताभ मीत said...

अच्छा है सुमन जी. सही है. कहने का तरीका आछा लगा.

वाणी गीत said...

सब कुछ वही है फिर भी बहुत कुछ बदल गया है
क्या खूब ..!!

Prem Farukhabadi said...

लोग वही और देश वही है,
नाम नया, परिवेश वही है,
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं।

श्यामल जी,
बहुत ही कमाल की रचना .बधाई !!

दिनेशराय द्विवेदी said...

और सब तो ठीक है पर 'ज्ञान वही है' समझ न आया। वह तो हमेशा बढ़ता रहता है।

संगीता पुरी said...

बहुत सटीक रचना !!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बोतल वही है, मगर पीनेवाले बदल जाते हैं।
अच्छी कविता है।
बधाई।

ओम आर्य said...

bahut sundar.........

श्रीकांत पाराशर said...

hamesha ki tarah ek achhi rachna. isi mahine apni ek rashtriya star ki hindi patrika bhartiya opinion prarambh hone ja rahi hai. october ka issue sept ke end men launch hoga. apni ek badhia si rachna first issue ke liye bhejen.

Unknown said...

जगपालक भी बदल गया शायद.............
बहुत खूब
उम्दा गीत............बधाई !

हेमन्त कुमार said...

देखिए यह बदलाव अभी कौन कौन सा रंग दिखाता है।
आभार ।

विनोद कुमार पांडेय said...

लोग वही और देश वही है,
नाम नया, परिवेश वही है,
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं।

बेहद सटीक एवम् सच्ची रचना..
बधाई!!!

seema gupta said...

शिष्य वही और ज्ञान वही है,
तेजस्वी का मान वही है,
ज्ञान स्वार्थ से लिपट गया क्यों?
शिक्षक भी तो बदल गये हैं।
सुन्दर भाव और उतनी ही सुन्दर प्रस्तुती....
regards

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही गुढ शव्दो मे आप ने बहुत कुछ कह दिया, अति सुंदर कविता.
धन्यवाद

नीरज गोस्वामी said...

वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं

यथार्थ का चित्रण करती सार गर्भित कविता...बहुत ही अच्छी...सुमन जी वाह
नीरज

रंजना said...

यथार्थ का सटीक चित्रण करती बहुत ही सुन्दर प्रवाहमयी रचना....
आभार स्वीकारें...

दिगम्बर नासवा said...

sach mein bahoot kuch badal gaya hai.....bahoot hi sunar rachna hai Suman ji..........

निर्मला कपिला said...

बहुत् सुन्दर भाव हैं बदलाव को कहने का तरीका अलग से है सब कुछ वही होते हुये भी बदला सा ही लगता है बधाई इस रचना के लिये

निर्झर'नीर said...

suman ji
aapki rachna yatharth ka chitran or zindgi ka saar hai.

aapke bare mai kuch likhna ..kam-s-kam mere bas ki baat nahi.

aapki har rachna bejod hoti hai

Mishra Pankaj said...

बहूत खूब शास्त्री जी ! सुन्दर रचना
आभार
पंकज

Yogesh Verma Swapn said...

suman ji, hamesha ki tarah kamaal ki rachna. badhai.

अर्चना तिवारी said...

बहुत सुंदर एवं भाव से परिपूर्ण सटीक रचना...

श्यामल सुमन said...

आप सब के अतुलनीय स्नेह और समर्थन के प्रति श्यामल सुमन का विनम्र आभार प्रेषित है।

Himanshu Pandey said...

"गीत वही और राग वही है,
वही सुर, सब साज़ वही है,
गाने का अंदाज़ वही पर,
गायक ही तो बदल गये हैं।"

शुरुआत ने ही प्रभावित किया । पूरी रचना अत्युत्तम है । आभार ।

Urmi said...

बहुत ही सुंदर भाव के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना काबिले तारीफ है!

Arshia Ali said...

Sundar Geet.
( Treasurer-S. T. )

hindustani said...

बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.

Gyan Dutt Pandey said...

सच है बन्धुवर, प्रश्न हमारे मन में भी यही उठते हैं, पर इतनी सुन्दरता से पूछ नहीं पाते।

डिम्पल मल्होत्रा said...

गीत वही और राग वही है,
वही सुर, सब साज़ वही है,
गाने का अंदाज़ वही पर,
गायक ही तो बदल गये हैं।...sahi baat...

Chandan Kumar Jha said...

बहुत ही कठिन प्रश्न.... बदल रहा है सबकुछ.

Chandan Kumar Jha said...
This comment has been removed by the author.
Tulsibhai said...

"bahut hi manbhavak rit se aap ne sajayi hai ye abhivyakti is shandar rachana ke liye aapko badhai ho "

----- eksacchai { AAWAZ }

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http://hindimasti4u.blogspot.com

स्वप्न मञ्जूषा said...

मुखौटा वही रहता है मुखड़े बदल जाते हैं
आईना वही रहता है चेहरे बदल जाते हैं
बहुत बढ़िया लिखा है भईया ..

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