गीत वही और राग वही है,
वही सुर, सब साज़ वही है,
गाने का अंदाज़ वही पर,
गायक ही तो बदल गये हैं।
लोग वही और देश वही है,
नाम नया, परिवेश वही है,
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं।
शिष्य वही और ज्ञान वही है,
तेजस्वी का मान वही है,
ज्ञान स्वार्थ से लिपट गया क्यों?
शिक्षक भी तो बदल गये हैं।
धर्म वही और ध्यान वही है,
वही सुमन भगवान वही है,
जो है अधर्मी, मौज उसी की,
जगपालक क्या बदल गये हैं?
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32 comments:
अच्छा है सुमन जी. सही है. कहने का तरीका आछा लगा.
सब कुछ वही है फिर भी बहुत कुछ बदल गया है
क्या खूब ..!!
लोग वही और देश वही है,
नाम नया, परिवेश वही है,
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं।
श्यामल जी,
बहुत ही कमाल की रचना .बधाई !!
और सब तो ठीक है पर 'ज्ञान वही है' समझ न आया। वह तो हमेशा बढ़ता रहता है।
बहुत सटीक रचना !!
बोतल वही है, मगर पीनेवाले बदल जाते हैं।
अच्छी कविता है।
बधाई।
bahut sundar.........
hamesha ki tarah ek achhi rachna. isi mahine apni ek rashtriya star ki hindi patrika bhartiya opinion prarambh hone ja rahi hai. october ka issue sept ke end men launch hoga. apni ek badhia si rachna first issue ke liye bhejen.
जगपालक भी बदल गया शायद.............
बहुत खूब
उम्दा गीत............बधाई !
देखिए यह बदलाव अभी कौन कौन सा रंग दिखाता है।
आभार ।
लोग वही और देश वही है,
नाम नया, परिवेश वही है,
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं।
बेहद सटीक एवम् सच्ची रचना..
बधाई!!!
शिष्य वही और ज्ञान वही है,
तेजस्वी का मान वही है,
ज्ञान स्वार्थ से लिपट गया क्यों?
शिक्षक भी तो बदल गये हैं।
सुन्दर भाव और उतनी ही सुन्दर प्रस्तुती....
regards
बहुत ही गुढ शव्दो मे आप ने बहुत कुछ कह दिया, अति सुंदर कविता.
धन्यवाद
वही तंत्र का मंत्र अभी तक,
शासक ही तो बदल गये हैं
यथार्थ का चित्रण करती सार गर्भित कविता...बहुत ही अच्छी...सुमन जी वाह
नीरज
यथार्थ का सटीक चित्रण करती बहुत ही सुन्दर प्रवाहमयी रचना....
आभार स्वीकारें...
sach mein bahoot kuch badal gaya hai.....bahoot hi sunar rachna hai Suman ji..........
बहुत् सुन्दर भाव हैं बदलाव को कहने का तरीका अलग से है सब कुछ वही होते हुये भी बदला सा ही लगता है बधाई इस रचना के लिये
suman ji
aapki rachna yatharth ka chitran or zindgi ka saar hai.
aapke bare mai kuch likhna ..kam-s-kam mere bas ki baat nahi.
aapki har rachna bejod hoti hai
बहूत खूब शास्त्री जी ! सुन्दर रचना
आभार
पंकज
suman ji, hamesha ki tarah kamaal ki rachna. badhai.
बहुत सुंदर एवं भाव से परिपूर्ण सटीक रचना...
आप सब के अतुलनीय स्नेह और समर्थन के प्रति श्यामल सुमन का विनम्र आभार प्रेषित है।
"गीत वही और राग वही है,
वही सुर, सब साज़ वही है,
गाने का अंदाज़ वही पर,
गायक ही तो बदल गये हैं।"
शुरुआत ने ही प्रभावित किया । पूरी रचना अत्युत्तम है । आभार ।
बहुत ही सुंदर भाव के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना काबिले तारीफ है!
Sundar Geet.
( Treasurer-S. T. )
बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे.
सच है बन्धुवर, प्रश्न हमारे मन में भी यही उठते हैं, पर इतनी सुन्दरता से पूछ नहीं पाते।
गीत वही और राग वही है,
वही सुर, सब साज़ वही है,
गाने का अंदाज़ वही पर,
गायक ही तो बदल गये हैं।...sahi baat...
बहुत ही कठिन प्रश्न.... बदल रहा है सबकुछ.
"bahut hi manbhavak rit se aap ne sajayi hai ye abhivyakti is shandar rachana ke liye aapko badhai ho "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
मुखौटा वही रहता है मुखड़े बदल जाते हैं
आईना वही रहता है चेहरे बदल जाते हैं
बहुत बढ़िया लिखा है भईया ..
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