पत्थर तोड़ तोड़ वर्षों से जिनकी आँखें पथरायी।
पथरीले राहों पर चलना उनकी किस्मत क्यों भाई?
दुर्बल तन पर कोशिश कर पत्थर पे घास उगाते हैं।
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं।
आपस में पत्थर रगड़ें तो ताप निकल ही जाता है।
पत्थर बनता तब जबाव जब प्रश्न ईंट-सा आता है।।
सनम भी पत्थर के होते हैं पत्थर-दिल होते इन्सान।
पत्थर पे सर जितना पटको क्या खुश होगा यह भगवान।
कर्मकाण्ड और रश्म-रिवाजें पत्थर की बन गयी लकीर।
जल-धारा संग बहते जाना छोटे पत्थर की तकदीर।
पड़े रास्ते के पत्थर को जब-तब-सब ठुकराता है।
पत्थर बनता तब जबाव जब प्रश्न ईंट-सा आता है।।
पत्थरबाजी करके अब भी होली लोग मनाते हैं।
कीचड़ में पत्थर मारो तो छींटे खुद पे आते हैं।
शिक्षक वैद्य वकील व नेता प्रायः पत्थर से दिखते।
पत्थर-सा व्यवहार है उनका वे किस्मत भी हैं लिखते।
सुमन भी पत्थर बन सकता, जब जग ये रीति निभाता है।
पत्थर बनता तब जबाव जब प्रश्न ईंट-सा आता है।।
पथरीले राहों पर चलना उनकी किस्मत क्यों भाई?
दुर्बल तन पर कोशिश कर पत्थर पे घास उगाते हैं।
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं।
आपस में पत्थर रगड़ें तो ताप निकल ही जाता है।
पत्थर बनता तब जबाव जब प्रश्न ईंट-सा आता है।।
सनम भी पत्थर के होते हैं पत्थर-दिल होते इन्सान।
पत्थर पे सर जितना पटको क्या खुश होगा यह भगवान।
कर्मकाण्ड और रश्म-रिवाजें पत्थर की बन गयी लकीर।
जल-धारा संग बहते जाना छोटे पत्थर की तकदीर।
पड़े रास्ते के पत्थर को जब-तब-सब ठुकराता है।
पत्थर बनता तब जबाव जब प्रश्न ईंट-सा आता है।।
पत्थरबाजी करके अब भी होली लोग मनाते हैं।
कीचड़ में पत्थर मारो तो छींटे खुद पे आते हैं।
शिक्षक वैद्य वकील व नेता प्रायः पत्थर से दिखते।
पत्थर-सा व्यवहार है उनका वे किस्मत भी हैं लिखते।
सुमन भी पत्थर बन सकता, जब जग ये रीति निभाता है।
पत्थर बनता तब जबाव जब प्रश्न ईंट-सा आता है।।
27 comments:
पत्थर की इतनी सारी उपयोगिता !!!
वाह भईया... कमाल का लिखा है
अद्वीतीय...
आपने पत्थरों पर बढिया रचना लिखी हैं .. पर सबसे भावपूर्ण ये दोनो लाइनें हैं ....
दुर्बल तन पर कोशिश कर पत्थर पे घास उगाते हैं।
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं।
पर यदि सबो को अपने कर्म का फल मिलता हो .. तो कैसे पसीज सकते हैं वे .. इसके बावजूद हमलोग अच्छे कर्म नहीं कर पा रहे हैं !!
दुर्बल तन पर कोशिश कर पत्थर पे घास उगाते हैं।
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं।
waah bahut khub
क्या बात है बहुत खुब। गजब की अभिव्यक्ति दिखी आपकी इस रचना में। बधाई
पत्थरबाजी करके अब भी होली लोग मनाते हैं।
कीचड़ में पत्थर मारो तो छींटे खुद पे आते हैं।
शिक्षक वैद्य वकील व नेता प्रायः पत्थर से दिखते।
पत्थर-सा व्यवहार है उनका वे किस्मत भी हैं लिखते।
सुमन भी पत्थर बन सकता, जब जग ये रीति निभाता है।
bahut hi shaandaar abhivyakti
वाह आप ने पत्थरो से भी इअतनी सुंदर कविता बना दी, धन्यवाद
जो नही पसीज रहे है वो पत्थर ही पूजे जा रहे है,इससे बडा सच और कुछ नही है आज की दुनिया मे।
बहुत सुन्दर रचना । हर पंक्ति पत्थर की पुन:आबृति अद्बुत है । आभार ।
पत्थरबाजी करके अब भी होली लोग मनाते हैं।
कीचड़ में पत्थर मारो तो छींटे खुद पे आते हैं।
बहुत बढ़िया!
पत्थर के चमत्कार को नमस्कार!
बहुत जबरदस्त रचना...क्या बात है!!
दुर्बल तन पर कोशिश कर पत्थर पे घास उगाते हैं।
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं ।
बेहतरीन । आभार ।
बेहतरीन ... बेहतरीन. क्या बात है.
आपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.
behtreen rachna rach di........pattharon ke shahr mein patthar hi baste hain.
pattharon ke jawab mein yahan,
patthar hi baraste hain.
sach kaha insaan dheere dheere patthar hi banta ja raha hai.
read my new blog--------http://ekprayas-vandana.blogspot.com
श्यामल सुमन जी नमस्कार !
काफी दिन बाद पढ़ने को मिला लेकिन जोरदार
prabhu ji aapki kavita ka kyaal hu... nice post........
आपने तो पत्थर में जान पैदा कर दी बन्धु. पत्थरदिल इंसान और पसीने से पत्थर सींचने वाले मेहनतकशों का सफल चित्रण करने के लिए बधाई.
आप सबके प्रोत्साहन ने नयी उर्जा दी है। श्यामल सुमन का विनम्र आभार आप सभी के प्रति प्रेषित है। यूँ ही स्नेह बनाये रखने की कृपा करें।
क्या बात है बहुत खुब\
बेहतरीन ... बेहतरीन.
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
कौन कहता है कि पत्थर बोल नहीं सकते आपकी कविता मे तो खूब बोल रहे हैं बहुत सुन्दर पोस्ट है बधाई
" suman saheb ,patther to bolte hai ....bahut hi sashakt lekhan kiya hai aapne ...aapki lekhani ko salam "
http://eksacchai.blogpost.com
http://hindimasti4u.blogpost.com
वाह बहुत ही सुंदर और अद्भूत रचना बिल्कुल नए अंदाज़ में आपने प्रस्तुत किया है! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाइयाँ!
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
बस और कुछ नहीं कह सकती...नमन है आपकी विद्वता और लेखनी को....
भाव अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का अकूत भण्डार है आपके पास...
पत्थर के सनम पत्थर के खुदा पत्थर के भी इंसा पाये है.. किसी शायर की यह गज़ल याद आ गई .. बधाई
"दुर्बल तन पर कोशिश कर पत्थर पे घास उगाते हैं।
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं।"
वाह बहुत खूब कही है , अद्भुत .
नहीं पसीजे जो पत्थर वो पत्थर पूजे जाते हैं
क्या बात है..आपने तो पत्थर का खूबसूरत शिल्प बना दिया इस रचना के द्वारा
आपने तो पत्थर का खूबसूरत शिल्प बना दिया इस रचना के द्वारा
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