तन की सीमा से भली, मन की सीमा जान।
मन को वश में कर सके, वही असल इन्सान।।
आशा की किरणें जगीं, भले अंधेरी राह।
नीरवता सुख दे जिसे, सुन्दर उसकी चाह।।
अभिनय करने में यहाँ, नेता बहुत प्रवीण।
भाषण, आश्वासन सहित, खींचे चित्र नवीन।।
खट्टा तब मीठा लगे, जब हो प्रियतम पास।
घड़ी मिलन की याद में, होते नहीं उदास।।
व्यंग्य-बाण के साथ में, हो रचना में धार।
बदलेंगे तब नीति ये, जनता के अनुसार।।
किया बहुत मैंने यहाँ, गम दुनिया की बात।
प्रथम मिलन को याद कर, सचमुच इक सौगात।।
हर विकास के नाम पर, क्या होता है आज?
सबकी कोशिश से बचे, दीनों की आवाज।।
श्लील और अश्लील में, कौन बताये भेद?
आदम युग हम जा रहे, प्रकट करें बस खेद।।
रचना भी है आपकी, भाव आपके खास।
सुमन सजाया बस इसे, कैसा रहा प्रयास?
27 comments:
बहुत बेहतरीन दोहे सब के सब!
अक्सर टिप्पणियों में पढा करती थी मैं इन्हें .. सुंदर दोहे के रूप में बिखरे हुए मोतियों को सहेजकर एक माला बना ली .. अच्छा किया !!
सुंदर दोहे हैं, टिप्पणी की टिप्पणी और दोहे के दोहे।
behatrin dohe..... jawaab nahi aapka janaaab
सभी दोहे अच्छे लगे.
तन की सीमा से भली मन की सीमा जान।
मन को वश में कर सके वही असल इन्सान।।
आशा की किरणें जगी भले अंधेरी राह।
नीरवता सुख दे जिसे गजब है उसकी चाह।।
सुन्दर लगा सुमन जी .
बहुत सुन्दर...
इसक कहते हैं 'आम के आम और गुठलियों के दाम'
बहुत सही दोहे लिखें हैं आपने भईया....
श्लील और अश्लील में कौन बताये भेद?
आदम युग हम जा रहे प्रकट करेंगे खेद।।
सभी दोहे एक से बढ कर एक
धन्यवाद
ek se badhkar ek dohe hain.......wakai sabrang hain.
सभी दोहे बहुत सुन्दर और प्रेरक
रचना भी है आपकी भाव आपके खास।
सुमन खिलें हैं बाग में, अच्छे रहे प्रयास।।
" bahut hi badhiya ek se ek dohe "
----eksacchai { aawaz }
http://eksacchai.blogspot.com
वाह! टिप्पणी की टिप्पणी दोहे के दोहे आपको प्रणाम है.
टिपण्णी से रचना निकल पड़ी ये तो.
badhiyaa likhte hain aap........
or likhiye.
thanks.
CHANDER KUMAR SONI,
L-5, MODEL TOWN, N.H.-15,
SRI GANGANAGAR-335001,
RAJASTHAN, INDIA.
CHANDERKSONI@YAHOO.COM
00-91-9414380969
CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
"रचना भी थी आपकी भाव आपके खास।
सुमन सजाया बस इसे कैसा रहा प्रयास? "
आपके इस प्रयास से प्रेरित हुए हम ,
सजाया बस आपने देख रहे अचम्भ ।
बहुत खूब !!!
सार्थक, सटीक व सामयिक दोहे.... वाह..
सुन्दर दोहे....
behatrin dohe
आप सबकी रचनाएं, आपके ही भाव पर टिप्पणी देने के काव्यात्मक प्रयास के परिणाम हैं ये सबरंग दोहे, जिसे आप सबका बहुत समर्थन मिला। मैं विनम्र आभार निवेदित करना चाहता हूँ आप सबके प्रति।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
सुमन जी कई दोहे आपके तभी पहले पढे से लगते हैं । बहुत सुन्दर हैं बधाई
श्लील और अश्लील में कौन बताये भेद?
आदम युग हम जा रहे प्रकट करेंगे खेद।।nice
vvvयह प्रयास खूब रहा .तीनो भाग एक साथ पढ़े ,मज़ा आया ,दीवाली की शुभकामनाये ,न भेजने से ,देर भली .
खट्टी भी मीठी लगे जब हो प्रियतम पास।
उस क्षण को बस याद कर होते नहीं उदास।।
सचमुच सबरंग है और बहुत सुंदर हैं!
Behad achhe dohe hain..man pe jiske lagaam ho wahee 'saadhu' kahlaya ..kuchh apnee saadhna se saadh gaya..!
एक से बढ़कर एक पंक्ति! बहुत बहुत उम्दा.
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अंतिम पढ़ाव पर- हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
Saare ke saare dohe man ko moh gaye....
Bahut bahut bahut hi sundar rachna..
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