Tuesday, December 8, 2009

अनुभूति

कभी जिन्दगी ने मचलना सिखाया
मिली ठोकरें तो सम्भलना सिखाया

जीना सम्भलकर कठिन जिन्दगी में
उलझ भी गए तो निकलना सिखाया

रंगों की महफिल है ये जिन्दगी भी
गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया

सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया

बहुत दूर मिल के भी क्यों जिन्दगी में
सुमन फिर भ्रमर को टहलना सिखाया

21 comments:

Unknown said...

kavya srijan me aapki maharat abhinandneey hai sumanji !

aapki har rachna....samaj ka darpan hoti hai jo sach se ru-b-ru karati hai......

कभी जिन्दगी ने मचलना सिखाया
मिली ठोकरें तो सम्भलना सिखाया

सम्भलकर के जीना कठिन जिन्दगी में
उलझ भी गए तो निकलना सिखाया

zindgi ke tamaam uljhaav aur unse baahar nikalne ki kala jab parvaan chadhti hai tabhi aisi gazalon ka janm hota hai

महफिल है रंगों की जहाँ जिन्दगी है
गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया


waah waah ..umdaa sher !




सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया

sabki khushi me apni khushi ko dekhna

bahut badi baat hai...is badi baat ka abhinandan !

बहुत दूर मिल के भी क्यों जिन्दगी में
सुमन फिर भ्रमर को टहलना सिखाया

kul mila kar gazal shaandaar , jandar aur mukammal tour par ghame-douran ki abhivyakti hai..

badhaai apko !

मनोज कुमार said...

महफिल है रंगों की जहाँ जिन्दगी है
गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया
सही है, ज़िन्दगी तरह-तरह के अनुभव दे जाती है।

Yogesh Verma Swapn said...

बहुत दूर मिल के भी क्यों जिन्दगी में
सुमन फिर भ्रमर को टहलना सिखाया

behatareen.

vandana gupta said...

zindagi ke tamam roop , rang , dhang sabko bahut hi khoobsoorti se bayan kar diya

रंजना said...

सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया

BAHUT BAHUT SUNDAR !!!! SUNDAR BHAV KI ATISUNDAR ABHIVYAKTI...WAAH !!!

रश्मि प्रभा... said...

सम्भलकर के जीना कठिन जिन्दगी में
उलझ भी गए तो निकलना सिखाया
.......waqt sabkuch sikhata hai

Amrendra Nath Tripathi said...

सुन्दर अशआर ..
,,,,,,,,,, आभार ...

डॉ टी एस दराल said...

सही है, जिंदगी सब कुछ सिखा देती है।
अच्छी रचना है भाई।

गौतम राजऋषि said...

अच्छी रचना सर जी...

"सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया"

क्या बात है...!

त गाम सs वापसी भs गेल, बुझाय या?

Kusum Thakur said...

"सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया"

अति सुन्दर ......

Anonymous said...

महफिल है रंगों की जहाँ जिन्दगी है
गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया

फ़िलहाल एक गिरगिट महाशय से पाला पड़ा है अपना, इसलिए आजकल मैं भी काफ़ी कुछ सीख रहा हूँ ज़िन्दगी से.......;-)

साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......Humsafar Yaadon Ka

Unknown said...

jindgi ney samblana shikaya bahut khub shyamel suman ji sadhuwadh...rahi girghit ki baat to jindgi such main kai baar manav ko badlney per majboor kar hi datey hai....keep it plz..thx hv a gud day!! Rakesh sharma bhartiya

Unknown said...

jindgi ney samblana shikaya bahut khub shyamel suman ji sadhuwadh...rahi girghit ki baat to jindgi such main kai baar manav ko badlney per majboor kar hi datey hai....keep it plz..thx hv a gud day!! Rakesh sharma bhartiya

श्यामल सुमन said...

कलम की है उर्जा मिला जो समर्थन
सुमन को खुशी में उछलना सिखाया

आप सबके प्रति विनम्र आभार प्रेषित है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Himanshu Pandey said...

सुन्दर कविता है । आभार ।

कडुवासच said...

सम्भलकर के जीना कठिन जिन्दगी में
उलझ भी गए तो निकलना सिखाया
... बहुत सुन्दर !!!

निर्मला कपिला said...

रंगों की महफिल है ये जिन्दगी भी
गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया

सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया
वाह बहुत ही अच्छी रचना है। हमेशा की तरह । बधाई आपको

Ashish (Ashu) said...

बहुत कुछ चन्‍द शब्‍दों में व्‍यक्‍त किया, आभार ।

हरकीरत ' हीर' said...

कभी जिन्दगी ने मचलना सिखाया
मिली ठोकरें तो सम्भलना सिखाया

बहुत खूब ....!!

सम्भलकर के जीना कठिन जिन्दगी में
उलझ भी गए तो निकलना सिखाया

बहुत सुंदर .....!!

रंगों की महफिल है ये जिन्दगी भी
गिरगिट के जैसे बदलना सिखाया

ये तो गलत बात है सुमन जी .....!!

गुड्डोदादी said...

सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया
(कभी अपना कभी पराया बनाया )

गुड्डोदादी said...

सबकी खुशी में खुशी जिन्दगी की
खुद की खुशी में बहलना सिखाया
(कभी अपना कभी पराया बनाया )

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