जब आँखों से रिसता पानी
बात नयी कुछ कहता पानी
प्रियतम दूर अगर हो जाए
तब आँखों से बहता पानी
पानी पानी होने पर भी
कम लोगों में रहता पानी
कभी कीमती मोती बनकर
टपके बूंद लरजता पानी
तीन भाग पानी पर देखो
न पीने को मिलता पानी
चीर के धरती के सीने को
कितना रोज निकलता पानी
ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
Monday, February 15, 2010
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रचना में विस्तार
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मगर बेचना मत खुद्दारी
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विश्व की महान कलाकृतियाँ-
29 comments:
जब आँखों से रिसता पानी
कुछ न कुछ तब कहता पानी
प्रियतम दूर अगर हो जाए
तब आँखों से बहता पानी
BAHUT HI SUNDER..........LAJWAAB PANKTIYA
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी..
बेहतरीन सन्देश.
बहुत ही प्यारी ग़ज़ल कही ..........
पानी पानी होने पर भी
कम लोगों में रहता पानी
इस शे'र ने ज़्यादा प्रभावित किया.......
उम्दा ग़ज़ल के लिए अभिनन्दन !
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने हालात का इस खूबसूरत गज़ल के माध्यम से.
सच, जल विच मीन प्यासी वाली कहावत चरितार्थ होने जा रही है।
अच्छा सन्देश देती रचना।
आँसू झूठ नही बोलते!
सुन्दर रचना!
bahut badhiyaa.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
श्यामल जी , सरल शब्दों में आप इतना प्रभावी लिख जाते हैं कि बस एक ही शब्द निकलता है ...वाह
अजय कुमार झा
बहुत सुंदर रचना
पानी पानी होने पर भी
कम लोगों में रहता पानी
-बहुत खूब!
"ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी"
आपने बिल्कुल सही कहा है .
शाय्मल जी
सदा सुखी रहो
सचमुच खून से महंगा हो गया पानी
खूब कहा आपने
प्रियतम दूर अगर हो जाये
तब आँखों से बहता पानी
सभी शेर नहले पर दहला हैं
कुमलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
दादी हूँ आपके बच्चों की लिखना तो नहीं चाहती पढ़ कर आँखों में पानी ही पानी
kya kahun aapne to nishabd kar diya.
ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी !!!!
कितना सच कहा आपने...
झकझोरती,सोचने को मजबूर करती...बहुत ही सुन्दर रचना....
पानी का महत्व ज़िन्दगी मे कितना हैं, आपके शब्द उसे दर्शाते हैं । बहुत सुन्दर कविता ।
मिला समर्थन हूँ आभारी
इसी स्नेह से बहता पानी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
उफ़.....हर रोज़ एक पोस्ट ......कैसे लिख लेते हैं इतना वो भी गज़ब का ......!!
ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी...वाह.सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
.....बिलकुल सच कहा,बेहतरीन!!
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
.......बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!
बहुत सुन्दर कविता ।
paani ki mahatta ko darshati ye kavita achchhi ban padi hai Suman ji..
sach he janaab,जब आँखों से रिसता पानी
कुछ न कुछ तब कहता पानी,,magar afsos koi nahi jo uske dard ko sun sake,,paani hi he jo dil ko bhigo kar sookh jaataa he..dulaar kar, hame manaa kar.
bahut khoob likhe he she'r..
ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
....... bahut sundar rachna..
Haardik badhai...
चीर के धरती के सीने को
कितना रोज निकलता पानी
ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
Behad khoobsoorat, arthpoorn alfaaz!
बहुत ख़ूबसूरत रचना! आपकी जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है! आपकी लेखनी को सलाम! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
सुमन जी , बेहद सटीक बात कही है आपने.
- विजय
'तीन भाग पानी पर देखो
न पीने को मिलता पानी'
आप ने इस रचना में एक बड़ी और गंभीर समस्या को सरल शब्दों में प्रस्तुत कर दिया.
***बेहतरीन प्रस्तुति***
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
Bahut achhe lage ye lines!
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