Monday, February 15, 2010

खून से मँहगा लगता पानी

जब आँखों से रिसता पानी
बात नयी कुछ कहता पानी

प्रियतम दूर अगर हो जाए
तब आँखों से बहता पानी

पानी पानी होने पर भी
कम लोगों में रहता पानी

कभी कीमती मोती बनकर
टपके बूंद लरजता पानी

तीन भाग पानी पर देखो
न पीने को मिलता पानी

चीर के धरती के सीने को
कितना रोज निकलता पानी

ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी

कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी

29 comments:

संजय भास्‍कर said...

जब आँखों से रिसता पानी
कुछ न कुछ तब कहता पानी

प्रियतम दूर अगर हो जाए
तब आँखों से बहता पानी
BAHUT HI SUNDER..........LAJWAAB PANKTIYA

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

डॉ. मनोज मिश्र said...

ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी

कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी..
बेहतरीन सन्देश.

Unknown said...

बहुत ही प्यारी ग़ज़ल कही ..........

पानी पानी होने पर भी
कम लोगों में रहता पानी

इस शे'र ने ज़्यादा प्रभावित किया.......

उम्दा ग़ज़ल के लिए अभिनन्दन !

M VERMA said...

कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने हालात का इस खूबसूरत गज़ल के माध्यम से.

डॉ टी एस दराल said...

सच, जल विच मीन प्यासी वाली कहावत चरितार्थ होने जा रही है।
अच्छा सन्देश देती रचना।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आँसू झूठ नही बोलते!
सुन्दर रचना!

चन्द्र कुमार सोनी said...

bahut badhiyaa.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com

अजय कुमार झा said...

श्यामल जी , सरल शब्दों में आप इतना प्रभावी लिख जाते हैं कि बस एक ही शब्द निकलता है ...वाह
अजय कुमार झा

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर रचना

Udan Tashtari said...

पानी पानी होने पर भी
कम लोगों में रहता पानी

-बहुत खूब!

Kusum Thakur said...

"ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी"

आपने बिल्कुल सही कहा है .

गुड्डोदादी said...

शाय्मल जी
सदा सुखी रहो
सचमुच खून से महंगा हो गया पानी
खूब कहा आपने
प्रियतम दूर अगर हो जाये
तब आँखों से बहता पानी
सभी शेर नहले पर दहला हैं
कुमलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
दादी हूँ आपके बच्चों की लिखना तो नहीं चाहती पढ़ कर आँखों में पानी ही पानी

vandana gupta said...

kya kahun aapne to nishabd kar diya.

रंजना said...

ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी

कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी !!!!


कितना सच कहा आपने...
झकझोरती,सोचने को मजबूर करती...बहुत ही सुन्दर रचना....

dipayan said...

पानी का महत्व ज़िन्दगी मे कितना हैं, आपके शब्द उसे दर्शाते हैं । बहुत सुन्दर कविता ।

श्यामल सुमन said...

मिला समर्थन हूँ आभारी
इसी स्नेह से बहता पानी

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

हरकीरत ' हीर' said...

उफ़.....हर रोज़ एक पोस्ट ......कैसे लिख लेते हैं इतना वो भी गज़ब का ......!!

Ashish (Ashu) said...

ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी...वाह.सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

कडुवासच said...

ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
.....बिलकुल सच कहा,बेहतरीन!!
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
.......बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!

हर्षिता said...

बहुत सुन्दर कविता ।

दीपक 'मशाल' said...

paani ki mahatta ko darshati ye kavita achchhi ban padi hai Suman ji..

अमिताभ श्रीवास्तव said...

sach he janaab,जब आँखों से रिसता पानी
कुछ न कुछ तब कहता पानी,,magar afsos koi nahi jo uske dard ko sun sake,,paani hi he jo dil ko bhigo kar sookh jaataa he..dulaar kar, hame manaa kar.
bahut khoob likhe he she'r..

कविता रावत said...

ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी
....... bahut sundar rachna..
Haardik badhai...

shama said...

चीर के धरती के सीने को
कितना रोज निकलता पानी

ऐसे हैं हालात देश के
खून से मँहगा लगता पानी
Behad khoobsoorat, arthpoorn alfaaz!

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत रचना! आपकी जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है! आपकी लेखनी को सलाम! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

विजय तिवारी " किसलय " said...

कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी

सुमन जी , बेहद सटीक बात कही है आपने.
- विजय

Alpana Verma said...

'तीन भाग पानी पर देखो
न पीने को मिलता पानी'

आप ने इस रचना में एक बड़ी और गंभीर समस्या को सरल शब्दों में प्रस्तुत कर दिया.
***बेहतरीन प्रस्‍तुति***

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

कुम्हलाता है रोज सुमन अब
जड़ से दूर खिसकता पानी

Bahut achhe lage ye lines!

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!