Friday, February 26, 2010

होलियाए दोहे

होली तो अब सामने, खेलेंगे सब रंग।
मँहगाई ऐसी बढ़ी, फीकी हुई  उमंग।।

पैसा निकले हाथ से, ज्यों मुट्ठी से रेत।
रंग दिखे ना आस की, सूखे हैं सब खेत।।

एक रंग आतंक का, दूजा भ्रष्टाचार।
सभी सुरक्षा संग ले, चलती है सरकार।।

मौसम संग इन्सान का, बदला खूब स्वभाव।
है वसंत पतझड़ भरा, आदम हृदय न भाव।।

बना मीडिया आजकल, बहुत बड़ा व्यापार।
खबरों के कम रंग हैं, विज्ञापन भरमार।।

रंग सुमन का उड़ गया, देख देश का हाल।
जनता क्यों कंगाल है, नेता मालामाल।।

24 comments:

समय चक्र said...

बहुत बढ़िया लगे सामयिक दोहे.. होली की शुभकामनायें

डॉ. मनोज मिश्र said...

होली तो अब सामने खेलेंगे सब रंग।
मँहगाई ऐसी बढ़ी फीका हुआ उमंग।।

पैसा निकले हाथ से ज्यों मुट्ठी से रेत।
रंग दिखे ना आस की सूखे हैं सब खेत।।
behtreen laine.aabhar.

निर्मला कपिला said...

बहुत अच्छे लगे सभी दोहे । होली की शुभकामनायें

Kajal Kumar said...

एसी होली हो, तो हो ली होली :)

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वाह स्यामल जी,
जोरदार दोहों ने दुह दिया सबको,

होली की शुभकामनाएं
खेलकर फ़ोटो आर्कुट पे लगाएं
आभार

Udan Tashtari said...

होली के बेहतरीन दोहे!!

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सही लिखे हैं सभी दोहे।
होली की शुभकामनायें।

राज भाटिय़ा said...

सभी दोहे बहुत अच्छॆ लगे.
धन्यवाद

Renu goel said...

होली के दोहों से आपने दिखाया कमाल
तरह तरह के रंग बेचकर नेता हुए मालामाल,
हुए नेता मालामाल आपने बताया,
बस ये तो आम आदमी ही है हर कदम पर फरेब खाया हुआ ....
happy holi 2 you....

रानीविशाल said...

Bahut acche aur sarthak dohe hai....Aapko bahut dhanywaad!
Holi ki shubhakaamnae!!

M VERMA said...

रगों के समसामयिक सन्दर्भ
अत्यंत सुन्दर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

होली की शुभकामनाएँ!

ठाकुर पदम सिंह said...

बढ़िया सामयिक दोहे ....
पर अगली पोस्ट कुछ मस्ती से भरी होनी चाहिए ...अब तो खुमार चढ चुका है जी ...

Arvind Mishra said...

जबरदस्त, होली की शुभकामनायें !

kshama said...

Holee kee anek shubhkamnayen!

गुड्डोदादी said...

स्यामल
जिंदा रह
अरे तने यूं के लिख दिया होली के दीन्
यूं तो बोत बडी बात है से
पीसा निक्डे हाथ से जों मुठ्ठी मा रेत
रंग न दीखे आसां के सूखे हैं सब खेत
एक बातां नू मने समझ ने आयी
नेताओं को बैल की जगह जोत के हल चल्वावो
रेत के टोकरे भी उठ्वावो
फिर देखो खेतों की हरियाली
रेत के स्थान पर मुठ्ठी में अन्न होगा
सभी ओर होगी प्रसन्नता खुशियाली
दर-वट जमाना कट
सभी पढ़ कर सोचेगे
क्या लिख दिया दादी ने अब

vandana gupta said...

sabhi dohe soye huyon ko jagrit karne ke liye kafi hain basharte un par asar ho............ek se badhkar ek hain.
HOLI KI HARDIK SHUBHKAMNAYEIN.

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छे लगे सभी दोहे । होली की शुभकामनायें

Satish Saxena said...

आज तो कुछ अलग सा मिला आपसे ! होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें

श्यामल सुमन said...

मिला प्यार मुझको बहुत जगा हृदय का भाव।
होली की शुभकामना हो रंगीन प्रभाव।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बेहतरीन दोहे.

आपको होली पर्व की घणी रामराम.

रामराम

चन्द्र कुमार सोनी said...

excellent ji.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

पैसा निकले हाथ से ज्यों मुट्ठी से रेत।
रंग दिखे ना आस की सूखे हैं सब खेत।।

Aaj desh ke kisano ka yahi haal hai...apne sachhai ka warnan kiya hai...par kitni achhi tarah.

Asha Joglekar said...

रंग सुमन का उड़ गया देख देश का हाल।
जनता सब कंगाल है नेता मालामाल।।
वाह वाह ।

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