पूरे होते उसके सपने लगन हो जिसमें खास
कहीं अधूरे हों सपने तो जीवन लगे उदास
हों पूरे या रहे अधूरे मरे कभी ना सपना,
जीवन में नित नित बढ़ते हैं सपनों से विश्वास
आम-आदमी के जीवन से हुआ आम अब दूर
दाम बढ़े हैं आम के ऐसे आम-लोग मजबूर
सरकारें तो आम-लोग की शासक होते खास,
आम-लोग मुरझाये नित नित यह शासन दस्तूर
चाह सुमन की कभी न काँटे लगे सुमन के दामन
सुमन सोचता ऐसा हो तो जीवन लगे सुहावन
मगर नियति ने सुमन को पलना काँटों बीच सिखाया,
सु-मन सुमन का नित नित हो तो खुशियाँ आये आँगन
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26 comments:
बहुत बढ़िया रचना ...धन्यवाद
चाह सुमन की कभी न काँटे लगे सुमन के दामन।
सुमन सोचता ऐसा हो तो जीवन लगे सुहावन।
मगर नियति ने सुमन को पलना काँटों बीच सिखाया,
सु-मन सुमन का नित नित हो तो खुशियाँ आये आँगन।।
Bahut khoon suman ji kaayaa kahne dil ko chhoon gai !
अति सुन्दर रचना !
आम-आदमी के जीवन से हुआ आम अब दूर।
दाम बढ़े हैं आम के ऐसे आम-लोग मजबूर।
आम आदमी के हिस्से आम कहाँ?
बहुत सुन्दर
बहुत ही प्रेरणाप्रद कविता सर.. आजकल ऐसी कवितायें अन्य कवियों की कलम से कम ही निकलती दिखती हैं..
Sorry,khoon ko khoob padhiygaa,
बढ़िया है भाई ...
छोटी, सुन्दर और सुगढ़ ।
हों पूरे या रहे अधूरे मरे कभी ना सपना,
जीवन में नित नित बढ़ते हैं सपनों से विश्वास।।
बहुत सरस और सुंदर रचना।
विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है
आम-आदमी के जीवन से हुआ आम अब दूर।
दाम बढ़े हैं आम के ऐसे आम-लोग मजबूर।
सरकारें तो आम-लोग की शासक होते खास,
आम-लोग मुझाये नित नित यह शासन दस्तूर।।
प्रभावशाली रचना....बढ़िया लगी..बधाई
बहुत बढ़िया लिखा हैं आपने.
छोटी कविता में भी बड़ी बात कह जाते हैं आप.
यही आपकी खासियत भी हैं.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बहुत सुंदर रचना जी
धन्यवाद
बेहद उम्दा रचना !! बधाइयाँ !!
चाह सुमन की कभी न काँटे लगे सुमन के दामन।
सुमन सोचता ऐसा हो तो जीवन लगे सुहावन।
मगर नियति ने सुमन को पलना काँटों बीच सिखाया,
सु-मन सुमन का नित नित हो तो खुशियाँ आये आँगन।।
मन के अन्दर ..घुस गयी ये पंक्तिया .....निकल ही नहीं रही ..???
वाह श्यामल जी..उम्दा!
पूरे होते उसके सपने लगन हो जिससे खास
कहीं अधूरे हो सपने तो जीवन लगे उदास
सपने पूरे ,
समुन्द्री हिल्लोरें है
बहुत ही लगन से लिखी है
हो पूरे या रहें अधूरे मरे कभी न सपना
जीवन में नित नित बढ़ते है सपनो से विशवास
चाह सुमन की कभी न काँटे लगे सुमन के दामन
सुमन सोचता ऐसा हो तो जीवन लगे सुहावन
सपनो की आस से एक घंटी के बजते ही सांस आनी शुरू होती है
आम-आदमी के जीवन से हुआ आम अब दूर।
दाम बढ़े हैं आम के ऐसे आम-लोग मजबूर।
waah
एक अपील:
विवादकर्ता की कुछ मजबूरियाँ रही होंगी अतः उन्हें क्षमा करते हुए विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार!
ज्ञानदत्त पांडे ने लडावो और राज करो के तहत कल बहुत ही घिनौनी हरकत की है. आप इस घिनौनी और ओछी हरकत का पुरजोर विरोध करें. हमारी पोस्ट "ज्ञानदत्त पांडे की घिनौनी और ओछी हरकत भाग - 2" पर आपके सहयोग की अपेक्षा है.
कृपया आशीर्वाद प्रदान कर मातृभाषा हिंदी के दुश्मनों को बेनकाब करने में सहयोग करें. एक तीन लाईन के वाक्य मे तीन अंगरेजी के शब्द जबरन घुसडने वाले हिंदी द्रोही है. इस विषय पर बिगुल पर "ज्ञानदत्त और संजयदत्त" का यह आलेख अवश्य पढें.
-ढपोरशंख
चाह सुमन की कभी न काँटे लगे सुमन के दामन।
सुमन सोचता ऐसा हो तो जीवन लगे सुहावन।
सचमुच ऐसा हो तो फिर बात ही क्या....
सुन्दर रचना....वाह...
mere khayaal se ye YAMAK ALAKAAR ka prayog hai. jo bahut bahut acchha laga.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! लाजवाब रचना !
'पूरे होते उसके सपने लगन हो जिसमे खास।'
- और यह लग्न कम लोगों में होती है.
हों पूरे या रहे अधूरे मरे कभी ना सपना,
जीवन में नित नित बढ़ते हैं सपनों से विश्वास।।
शानदार रचना..
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