भाव चेहरे पर लिखा जो लब से वो कहते नहीं
है खुशी और गम जहां में अश्क यूँ बहते नहीं
है भले छत एक फिर भी दूरियाँ बढ़ती गयी
आज अपनों सा लगे जो साथ में रहते नहीं
जब तलक है जोर अपना होश की बातें कहाँ
होश आने पर ये समझे दर्द यूँ सहते नहीं
पीठ को मोड़ा कभी न था हवा का रुख जिधर
अपने मतलब के पवन हर वक्त तो बहते नहीं
गर किसी को है समझना खुद को पहचानो सुमन
है तजुर्बा, सोचकर, बस यूँ ही कुछ कहते नहीं
है खुशी और गम जहां में अश्क यूँ बहते नहीं
है भले छत एक फिर भी दूरियाँ बढ़ती गयी
आज अपनों सा लगे जो साथ में रहते नहीं
जब तलक है जोर अपना होश की बातें कहाँ
होश आने पर ये समझे दर्द यूँ सहते नहीं
पीठ को मोड़ा कभी न था हवा का रुख जिधर
अपने मतलब के पवन हर वक्त तो बहते नहीं
गर किसी को है समझना खुद को पहचानो सुमन
है तजुर्बा, सोचकर, बस यूँ ही कुछ कहते नहीं
28 comments:
भाव की मैं क्या कहूँ ,लब तो अब खुलते नहीं
डर मुझे खुशियाँ न छलके और गम पीते नहीं
वाह सुमन जी ......लाजवाब !!
बहुत बढ़िया है ....
आभार.
वाह वाह
बहुत ख़ूब...........शानदार !
हो भले छत एक फिर भी दूरियाँ बढ़ती गयी
आज अपने वो बने जो साथ में रहते नहीं
Kya baat kah dee! Chhat ek hone se hamsafar bante nahee!
बहुत सुंदर ओर शानदार ,
भाव चेहरे पर लिखा जो लब से वो कहते नहीं
है खुशी और गम जहां में अश्क यूँ बहते नहीं
बहुत सुन्दर ...
सचमुच बेहतरीन।
उम्दा कविता के लिए बधाई.
"अश्क यूँ बहते नहीं" वाह क्या खूब कहा हैं आपने.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
हो भले छत एक फिर भी दूरीयाँ बढ़ती गयी
आज अपने वो बने जो साथ में रहते नहीं
वाह बहुत खूबसूरत
हर जुदाई और मिलन में थीं आँखें आपकी
आपकी चाहत मेरी जिंदगी की पूजा बनगई
शुरुआत से लेकर अंत तक आपने बाँध कर रखा... कविता बहत अच्छी लगी....
"पीठ को मोड़ा कभी -------यूँ ही कुछ कहने लगे "
बहुत सुंदर भाव सजोए कविता |बधाई
आशा
umda rachna...
sach ko bayan karte hue.
thanks
बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।
जब तलक है जोर अपना होश की बातें कहाँ
होश आने पर ये सोचे कष्ट यूँ सहते नहीं
bahoot hee yaboourr
दीपक तो पल भर जला
शमा सारी रात जली
शाम चुपचाप जली और जलाया है
हमने तो खुद के ही जलाया है
जब तलक है जोर अपना होश की बातें कहाँ
होश आने पर ये सोचे कष्ट यूँ सहते नहीं जब तलक है जोर अपना होश की बातें कहाँ
होश आने पर ये सोचे कष्ट यूँ सहते नहीं
वाह बहुत सुंदर.
गर किसी को है समझना खुद को पहचानो सुमन
हो तजुर्बा सोचकर बस यूँ ही कुछ कहते नहीं
maqta lajwab kar gaya...
गर किसी को है समझना खुद को पहचानो सुमन
हो तजुर्बा सोचकर बस यूँ ही कुछ कहते नहीं
maqta lajwab kar gaya...
आप की रचना 08 अक्टूबर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com/2010/10/300.html
आभार
अनामिका
sundar rachna!
regards,
wah ! bahut bahut sunder .
utkrusht lekhan .
पीठ को मोड़ा कभी न था हवा का रुख जिधर
अपने मतलब के पवन हर वक्त में बहते नहीं
ham pith nhi hwa ke rookh ko badalne mai viswas rakhte hai..
aap ke hi sabdo mai:-
HAL PUCHHA AAPNE TO PUCHHNA ACHHA LGA,,,,,,
BAH RAHI ULTI HWA SE JHUJHNA ACHHA LGA.....
MARG DARSHAN KE LIA DHANYABAAD.
हो भले छत एक फिर भी दूरियाँ बढ़ती गयी
आज अपनों सा लगे जो साथ में रहते नहीं...
वाह ! क्या दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति.....बहुत सुन्दर...आभार..
हो भले छत एक फिर भी दूरियाँ बढ़ती गयी
आज अपनों सा लगे जो साथ में रहते नहीं...
वाह ! क्या दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति.....बहुत सुन्दर...आभार..
भाव चेहरे पर लिखा जो लब से वो कहते नहीं
है खुशी और गम जहां में अश्क यूँ बहते नहीं
बहुत सुंदर लिखा
गर किसी को है समझना खुद को पहचानो सुमन
हो तजुर्बा सोचकर बस यूँ ही कुछ कहते नहीं
कुछ भी कहो आईना देखना चाहिए
सच्चाई को चाहता हूँ ...सच..सच को कितना भी दबाओ मगर सच्चाई सामने आ ही जाती है . जो भी समाज में या अपने देश मे अन्याय भरी बात देखता हूँ बस लिख देता हूँ, क्योंकि सच्चाई को चाहता हूँ ... क्या आप भी मेरी तरह सच्चाई को चाहते हो ? अगर हाँ तो फिर आओ मिलकर कुछ कर दिखाएँ ...मैं तो सच्चाई अपने ब्लॉग में लिखता हूँ . आप भी लिखना चाहोगे क्या ? यकीन रखना सच्चाई देर से सामने आती है, मगर आती ज़रूर है ... सच्चाई कड़वी भी होती है दोस्त ..मगर आप सभी भी सक्चाई को ही चाहना ... सक्चाई को चने से कम से कम दिल को सुकून तो मिलेगा .
भाव चेहरे पर लिखा जो लब से वो कहते नहीं
है खुशी और गम जहां में अश्क यूँ बहते नहीं
अश्क तो हमारे बहते रहेंगे
सन्देश पे सन्देश भेजे हमने
एडी उठा उठा कर देखा
वह आज भी नहीं आया
कहाँ पत्थर मारूं उसको
शीशा टूट गया होगा
कैसे देखूं कैसे बुलाऊँ
गर किसी को है समझना खुद को पहचानो सुमन......
कितना सही कहा आपने...सचमुच !!!!
सदैव की भांति, सीख देती सुन्दर मनमोहक रचना...
dil chu liya aapne...
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