Friday, January 21, 2011

प्रियतम! कैसे प्रीत सिखाऊँ?

प्रियतम! कैसे प्रीत सिखाऊँ?
छाये बदरा बिनु पानी के नैनन नीर बहाऊँ।।

प्रीत में वाणी की क्या कीमत,
आँखें बोल बताती नीयत,
नैन बन्द हो गर प्रियतम का, किसको पीड़ सुनाऊँ?
प्रियतम! कैसे प्रीत सिखाऊँ?

मीठे पल जीवन में आते,
जो नादानी से खो जाते,
सोचे घायल हृदय सुमन का किसपर तीर चलाऊँ?
प्रियतम! कैसे प्रीत सिखाऊँ?

25 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सुंदर गीत के लिए आभार

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय श्यामल सुमन जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

Kailash Sharma said...

मीठे पल जीवन में आते,
जो नादानी से खो जाते,
सोचे घायल हृदय सुमन का किसपर तीर चलाऊँ?

बहुत मधुर प्रेम गीत..बहुत सुन्दर

संगीता पुरी said...

बहुत खूब !!

प्रवीण पाण्डेय said...

अद्भुत। बस कुछ और न कह पाऊँगा।

राधिका said...

आँखें बोल बताती नीयत,
नैन बन्द हो गर प्रियतम का, किसको पीड़ सुनाऊँ?

अटूट प्रेम की व्याख्या

भुलाना भी चाहें भुला न सकेंगे
किसी और को दिल में ला न सकेंगे.....

गुड्डोदादी said...

श्यामल जी
चिरंजीव भवः

कैसे प्रियतम प्रीत सिखाऊँ?
छाये बदरा बिनु पानी के नैन से नीर बहाऊँ।।

सुंदर गीत की अद्भुत भाव

Satish Chandra Satyarthi said...

क्या बात है!!
बहुत सुन्दर...

Unknown said...

गदगद कर दिया सुमन जी !

आपको हार्दिक नमन और बधाई इस उम्दा रचना के लिए.............

Satish Saxena said...

" सोचे घायल हृदय सुमन का किसपर तीर चलाऊँ? "
आनंद आ गया सुमन जी ! हार्दिक शुभकामनायें !

राधिका said...

मीठे पल जीवन में आते,
जो नादानी से खो जाते,




उसकी है तन्हाई
मेरी ही जुदाई
हमे भले ही भूल जाना
पर वह रातें ना भूलाना

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर..... कमाल की अभिव्यक्ति.....

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर गीत है। बधाई।

छामियाँ said...

सोचे घायल हृदय सुमन का किसपर तीर चलाऊँ?
कैसे प्रियतम प्रीत सिखाऊँ?

घायल की गति घायल ही जाने
इश्क इतना नाजुक है
शब्दों के अर्थ पा नहीं सकती
मेरे मित्र इसको घटा नहीं सकती

रंजना said...

क्या कहूँ...

अद्वितीय !!!!

आपके स्वर में जो सुना था,अभी भी कानों में गूँज रहे हैं शब्द और स्वर ...

माता सरस्वती की आपपर असीम कृपा है भाईजी ..यह ऐसी ही बनी रहे...

राधिका said...

नैन बन्द हो गर प्रियतम का, किसको पीड़ सुनाऊँ?
कैसे प्रियतम प्रीत सिखाऊँ


इक शाम की तनहाईयाँ
ऐसे में तेरा गम

राधिका said...

कविता गीत बार बार पढ़ी
आँखें अश्रुयों से भर गई


जिसे हद से प्यार करो
वो क़दर नई करता
प्यार की क़दर उससे जानो
जिसे कोई प्यार नई करता

श्यामल सुमन said...

आप सबके स्नेह और समर्थन के प्रति विनम्र आभार।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Anonymous said...

superb !! I m loving it :-))

Asha Lata Saxena said...

बहुत भावपूर्ण रचना |बधाई
आशा

vandana gupta said...

आपकी पोस्ट यहाँ भी है……नयी-पुरानी हलचल

http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/

Yashwant R. B. Mathur said...

मीठे पल जीवन में आते,
जो नादानी से खो जाते,
सोचे घायल हृदय सुमन का किसपर तीर चलाऊँ?
कैसे प्रियतम प्रीत सिखाऊँ

बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ.

सादर

Anupama Tripathi said...

मन की व्यथा कहती हुई सुंदर रचना .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मीठे पल जीवन में आते,
जो नादानी से खो जाते,
सोचे घायल हृदय सुमन का किसपर तीर चलाऊँ?

सच है ..यही कारण है की प्रीत भी मर जाती है ..

वीना श्रीवास्तव said...

मीठे पल जीवन में आते,
जो नादानी से खो जाते,

बहुत सुंदर पंक्तियां....

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विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!