Thursday, March 24, 2011

सुमन सोच मत बीते कल की

काम करो मत सोचो फल की
हरदम कीमत मँहगी फल की

नहीं समस्या उसने हल की
कोशिश जिसकी रहती हलकी

सूख गयी जब सारी नलकी
आस देखते फिर भी नल की

हालत देखा आँखें छलकीं
बात बड़े भी करते छल की

सार्थक सोच सदा हो कल की
सुमन सोच मत बीते कल की

10 comments:

गुड्डोदादी said...

श्यामल जी
चिरंजीव भावः

हालत देखा आँखें छलकीं
बात बड़े भी करते छल की

एक सुखद दुखद के भावों की रचना

कल भी दीवाली थी आज भी दीवाली

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, यमक की दमक।

Kailash Sharma said...

नहीं समस्या उसने हल की
कोशिश जिसकी रहती हलकी
...
बहुत सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति...

राज भाटिय़ा said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति

गुड्डोदादी said...

सार्थक सोच सदा हो कल की
सुमन सोच मत बीते कल क

एक अनोखी रचना

चिंता, मनन, चिंतन की
कुछ पल की कुछ कल की

गुड्डोदादी said...

सार्थक सोच सदा हो कल की
सुमन सोच मत बीते कल की

सुंदर रचना

चिंता, मनन, चिंतन की
कुछ पल की कुछ कल की

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत बढ़िया पोस्ट!

yogendra said...

बहुत सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति

Pallavi saxena said...

सर आपकी रचनाओ के साथ-साथ आप का ब्लॉग प्रोफ़ाइल पेज भी बहुत सुंदर है ...

SAJAN.AAWARA said...

ANOKHI RACHNA, SATYA KA GYAN KARATI HAI.

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