Thursday, May 19, 2011

अश्क बहाना ठीक नहीं

आतुर जब मिलने को प्रेमी, कोई बहाना ठीक नहीं
भूली-बिसरी गम की बातें, याद दिलाना ठीक नहीं

मौन प्रेम की भाषा है जब, बात बने न बातों से
बातों में सच्चे प्रेमी को, नित भरमाना ठीक नहीं

मजबूरी से ऊपर उठकर, प्रेम नया परिभाषित हो
कठिनाई तो प्रेम डगर में, पीठ दिखाना ठीक नहीं

मिलन-विरह की बेला अक्सर, आते जाते जीवन में
बिना विरह क्या मोल मिलन का, राज बताना ठीक नहीं

अगर जिन्दगी जीना है तो, पल पल जीना सीख सुमन
प्रेम जहाँ बस वहीं है जीवन, अश्क बहाना ठीक नहीं

7 comments:

Kusum Thakur said...

वाहसुमन जी !!

नहीं अश्क बहाया जाता, यह भी है प्रेम की भाषा
पल पल जीना सीखा अगर, फिर पछताना ठीक नहीं

मुकेश कुमार सिन्हा said...

simply wah!!
har shabd bejor!!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह!

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन, सदा की तरह।

BrijmohanShrivastava said...

क्या बात है क्या मोल मिलन का विरह बिना

सु-मन (Suman Kapoor) said...

sundar.....

गुड्डोदादी said...

तकते तकते रास्ता पथरा गईं थीं आंख भी
चलते चलते ये सुना वो रास्ते पर आ गये्॥

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
रचना में विस्तार
साहित्यिक  बाजार  में, अलग  अलग  हैं संत। जिनको  आता  कुछ  नहीं, बनते अभी महंत।। साहित्यिक   मैदान   म...
अन्ध-भक्ति है रोग
छुआछूत  से  कब  हुआ, देश अपन ये मुक्त?  जाति - भेद  पहले  बहुत, अब  VIP  युक्त।। धर्म  सदा  कर्तव्य  ह...
गन्दा फिर तालाब
क्या  लेखन  व्यापार  है, भला  रहे  क्यों चीख? रोग  छपासी  इस  कदर, गिरकर  माँगे  भीख।। झट  से  झु...
मगर बेचना मत खुद्दारी
यूँ तो सबको है दुश्वारी एक तरफ  मगर बेचना मत खुद्दारी एक तरफ  जाति - धरम में बाँट रहे जो लोगों को  वो करते सचमुच गद्दारी एक तरफ  अक्सर लो...
लेकिन बात कहाँ कम करते
मैं - मैं पहले अब हम करते  लेकिन बात कहाँ कम करते  गंगा - गंगा पहले अब तो  गंगा, यमुना, जमजम करते  विफल परीक्षा या दुर्घटना किसने देखा वो...
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!