जीवन इक विश्वास है
खुला हुआ आकाश है
वक्त आजतक उसने जीता
जिसने किया प्रयास है
कैसे कैसे लोग जगत में
अलग सभी की प्यास है
कुछ ही घर में रौनक यारों
चहुँ ओर संत्रास है
जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु-आवास है
राजनीति और अपराधी का
क्या सुन्दर सहवास है
सहनशीलता अपनी ऐसी
नेताओं से आस है
लेकिन ये ना बदलेंगे अब
दशकों का अभ्यास है
यही समय है परिवर्तन का
सुमन हृदय आभास है
Monday, May 23, 2011
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11 comments:
bilkul thik kaha aapne
लोग कैसे हार माते हैं,
चल रही साँस है।
जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु आवास है
राजनीति और अपराधी का
क्या सुन्दर सहवास है
वाह..क्या खूब ...कटाक्ष किया है...
हर शेर यथार्थ के भावों से तराशे हैं आपने !
हार्दिक बधाई...
जीवन इक विश्वास है
खुला हुआ आकाश है
वक्त आजतक उसने जीता
जिसने किया प्रयास है
bahut khoob...
यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु आवास है
कैसी महत बात पकड़ी आपने...
हमेशा की तरह धीर गंभीर बहुत ही सुन्दर रचना...
BILKUL THIK LIKHA APNE. . . BAHUT KHUB.
JAI HIND JAI BHARAT
बहुत अदभुद भाव लिए रचना |
आशा
sarthak ...sateek aur bahut sunder prayas hai ...
badhai .
जीवन इक विश्वास है
खुला हुआ आकाश है
बहुत सार्थक रचना सर...
सादर...
is vishwas ki dor kabhi dhili naa pade..........umdaa lekhni...aabhar
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