Saturday, June 4, 2011

मुश्किल है

उम्र हुई अब ऐसी अपनी, नैन लड़ाना मुश्किल है
जहाँ मिले दो दिल की बातें, नैन चुराना मुश्किल है

नैन की भाषा नैन ही जाने, प्यार तभी बढ़ता आगे
बेबस होठ कहे फिर कैसे, राज बताना मुश्किल है

उतर के उनकी आँखों में जब देखा तो महसूस किया
है मेरी तस्वीर वहीँ पर, वापस आना मुश्किल है

नहीं किया इकरार अभी तक, न उसने इन्कार किया
कहीं बने स्वीकार मौन तो, वक्त बिताना मुश्किल है

मिलन सुमन का हुआ अचानक, जिनसे चाहत मिलती है
इक दूजे की हमें जरूरत, प्यार जताना मुश्किल है

7 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

नये मानक स्थापित करें, पुरानों की याद में कब तक डूबेंगे।

vandana gupta said...

वाह वाह बेहद रसमयी भावमयी रचना……………मगर मुश्किल से तो पार पाना होगा।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

मौनम सम्मति लक्षणम्।

सुन्दर और बहुत सुंदर हार्दिक अभिव्यक्ति सुमन जी।

M VERMA said...

नैन की भाषा नैन ही जाने
और फिर इस भाषा का राज हम भी तो जान गये हैं
बहुत खूब

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

Anupama Tripathi said...

मुश्किल की सुंदर अभिव्यक्ति ...
रसमयी ..अनुरागमयी रचना ..!!

रंजना said...

वाह...

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