Thursday, February 9, 2012

गीत नया तू गाना सीख

खुद से देखो उड़ के यार
एहसासों से जुड़ के यार
जैसे गूंगे स्वाद समझते,
कह ना पाते गुड़ के यार

कैसा है संयोग यहाँ
सुन्दर दिखते लोग यहाँ
जिसको पूछो वे कहते कि
मेरे तन में रोग यहाँ

मजबूरी का रोना क्या
अपना आपा खोना क्या
होना जो था हुआ आजतक,
और बाकी अब होना क्या

क्यों देते सौगात मुझे
लगता है आघात मुझे
रस्म निभाना अपनापन में,
लगे व्यर्थ की बात मुझे

गीत नया तू गाना सीख
कोई नहीं बहाना सीख
बहुत कीमती जीवन के पल,
हर पल खुशियाँ लाना सीख

इक दूजे को जाना है
दुनिया को पहचाना है
फिर भी प्रायः लोग कहे कि
सुमन बहुत अनजाना है

16 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह ...उम्दा लेखनी

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।

Rachana said...

गीत नया तू गाना सीख
कोई नहीं बहाना सीख
बहुत कीमती जीवन के पल,
हर पल खुशियाँ लाना सीख
sahi hai jaesa sochenge vaesa hi hoga utsah badhata aapka geet bahut sunder hai
rachana

vidya said...

वाह वाह..
बहुत खूबसूरत...
शुक्रिया.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया!
--
आप अच्छा लिखते हैं!

पद्म सिंहh said...

गीत नया तू गाना सीख
कोई नहीं बहाना सीख
बहुत कीमती जीवन के पल,
हर पल खुशियाँ लाना सीख
सुंदर रचना ......

kshama said...

Wah! Bahut khoob!

गुड्डोदादी said...

आशीर्वाद श्यामल

मजबूरी का रोना क्या
अपना आपा खोना क्या
होना जो था हुआ आजतक,
और बाकी अब होना क्या

बहुत ठोस शब्दों की पंक्तियाँ आघात पूर्ण
पढ़ कर अश्रु __/\__

दिगम्बर नासवा said...

गीत नया तू गाना सीख
कोई नहीं बहाना सीख
बहुत कीमती जीवन के पल,
हर पल खुशियाँ लाना सीख...
Saarthal .... Asha ka sandesh deti prabhavi rachna hai ... Lajawab geet ....

प्रवीण पाण्डेय said...

द्वन्द्व को हृदय में समेटे जी रहे हैं हम सब...

Rajesh Kumari said...

vaah utkrasht kavita...lajabaab.her pankti shandar hai.

नीला झा said...

इक दूजे को जाना है
दुनिया को पहचाना है
क्यां करें भूख बहुत लगी है
हरी मिर्ची के साथ रोटी खाना है

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

Suman ji bahut hi achhi lagi ye rachna bhi.......

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

गीत नया तू गाना सीख
कोई नहीं बहाना सीख
बहुत कीमती जीवन के पल,
हर पल खुशियाँ लाना सीख....sarthak sandesh...behtarin rachna...sadar badhayee aaur amantran ke sath

S R Bharti said...

मजबूरी का रोना क्या
अपना आपा खोना क्या
होना जो था हुआ आजतक,
और बाकी अब होना क्या

बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।

S R Bharti said...

मजबूरी का रोना क्या
अपना आपा खोना क्या
होना जो था हुआ आजतक,
और बाकी अब होना क्या


बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!