Monday, March 5, 2012

दिल भी शीशे की तरह टूट गया

नहीं जज्बात दिल में कम होंगे
तेरे संग - संग  मेरे  कदम  होंगे
तुम सलामत रहो कयामत तक
ये है मुमकिन कि नहीं हम होंगे

          प्यार जिसको भी किया छूट गया
          बन  के  अपना ही कोई लूट गया
          दिलों  को  जोड़ने की कोशिश में
          दिल  भी  शीशे की तरह टूट गया

यार  मिलने को जब तरसता है
बन  के बादल  तभी गरजता है
फिर भी चाहत अगर न हो पूरी
अश्क  बनकर  वही  बरसता है

          इश्क पे लोग का कहर देखा
          और  मुस्कान में  जहर देखा
          प्यार की शाम जहाँ पर होती
          वहीँ  से प्यार  का सहर देखा

भले दिल हो मेरा विशाल नहीं
तेरे  अल्फाज  से  मलाल नहीं
चाहे  दुनिया  यकीं  करे न करे
इश्क करता सुमन सवाल नहीं

10 comments:

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद

तुम सलामत रहो कयामत तक
ये है मुमकिन कि हम नहीं होंगे
व्याकुलता आशा भी निराशा भी


यह जिंदगी के मेले सभी यहीं रहेंगे
अफ़सोस हम ना होंगे

प्रवीण पाण्डेय said...

अश्क बहता है,
मन को कहता है,

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर कोमल भाव ....
होली की शुभकामनायें!

समयचक्र said...

प्यार जिसको भी किया छूट गया
बन के अपना ही कोई लूट गया
दिलों को जोड़ने की कोशिश में
दिल भी शीशे की तरह टूट गया

बढ़िया प्रस्तुति .... होली की शुभकामना और बधाई ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
रंगों की बहार!
छींटे और बौछार!!
फुहार ही फुहार!!!
होली का नमस्कार!
रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!

विभूति" said...

भावमय करते शब्‍दों का संगम....

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

sunder prastuti


रंग बिरंगी है रंगोली
मस्तानो की निकली टोली
कहीं अबीर गुलाल कहीं पर
चली धडल्ले भंग की गोली
पिचकारी से छूटे गोली
रहे सलामत कैसे चोली
ईना, मीना, डीका, रीना
नहीं बचेगी कोई भोली
आज अधर खामोश रहेंगे
आज रंग हैं सबकी बोली
आज नहीं छोड़ेंगे भौजी
बुरा न मानो है ये होली


होली पर आप को मेरे और मेरे परिवार की और से हार्दिक शुभकानाएं ...होली के बिबिध रंगों की तरह आपका जीवन रंगबिरंगा बना रहे ....खुशियाँ आपके कदम चूमे ..आपके अंतर का कलुष हटे.......प्रेम का साम्राज्य चहु ओर स्थापित हो ..पुनः इन्ही शुभकामनाओं के साथ


डॉ आशुतोष मिश्र
निदेशक
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान , गोंडा . उत्तरप्रदेश
मोबाइल न० 9839167801

दिगम्बर नासवा said...

यार मिलने को जब तरसता है
बन के बादल तभी गरजता है
फिर भी चाहत अगर न हो पूरी
अश्क बनकर वही बरसता है

सच कहा है ... दिल बरसता है मिलन की अधूरी आस में ... सुन्दर गीत है ...

आपको और परिवार में सभी को होली की शुभकामनायें ...

gazalkbahane said...

बहुत मार्मिक मुकतक बधाई
होली की शुभकामनाएं भी
श्याम सखा श्याम

Anamikaghatak said...

bahut hi achchhi prastuti

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