दिल यूँ किसी का जलाया ना जाये
मुहब्बत में आँसू बहाया ना जाये
बिकते हैं मुस्कान बाज़ार में अब
हँसते हुए को रुलाया ना जाये
सबके विचारों का चश्मा अलग है
अँधे को दर्पण दिखाया ना जाये
चालाक ही खुद को नादान कहते
आगे से गुर ये सिखाया ना जाये
दिल में सुमन होगा कल और बेहतर
आशा का दीपक बुझाया ना जाये
मुहब्बत में आँसू बहाया ना जाये
बिकते हैं मुस्कान बाज़ार में अब
हँसते हुए को रुलाया ना जाये
सबके विचारों का चश्मा अलग है
अँधे को दर्पण दिखाया ना जाये
चालाक ही खुद को नादान कहते
आगे से गुर ये सिखाया ना जाये
दिल में सुमन होगा कल और बेहतर
आशा का दीपक बुझाया ना जाये
16 comments:
दिल में सुमन होगा कल और बेहतर
आशा का दीपक बुझाया ना जाये
..sach aasha hi to jo jeena sekhati hai..
bahut sundar rachna
Holi ki hardik shubhkamnayen!
दिल यूँ किसी का जलाया ना जाये
आशा का दीपक बुझाया न जाए
आज जीने की तमन्ना है
दिल में सुमन होगा कल और बेहतर
आशा का दीपक बुझाया ना जाये
सुंदर सोच ...
नहीं बुझेगा ये आशा का दीपक..
आपके सुन्दर शब्द जो साथ हैं ..
:)
kalamdaan.blogspot.in
वाह जी सुंदर
सुन्दर ग़ज़ल सर...
सादर.
बहुत सुन्दर.....
सरलता से कही गयी गहन बातें...
सादर.
wakai kisi ka dil nahi jalana chahiye...hamesha kee tarah shandaar prabah me bahti ghazal..main is rawangi ka kayal hoon..sadar badhayee aaur amantran ke sath
sundar rachna
sundar rachna............
सच है, संताप के अन्धकार में आशा का दीपाक जरूर जलाये रखना चाहिए...
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल रची भाईजी..बहुत बहुत सुन्दर.
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
bahut achchi lagi.......
Behtareen....
बहुत बहुत खुबसूरत लिखी है यह गजल ...हर शेर बधाई के लायक है ....
मैं ग़ज़लों और नज्मों में तुम्हारी बात लिखता हूँ, किसी बेजान कागज़ पर अपने जज़्बात लिखता हूँ,
मैं शायर हूँ मेरी मजबूरियां भी बंदिशों की हैं,
इसी खातिर अश्कों को मैं बरसात लिखता हूँ..!
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