Wednesday, April 4, 2012

श्रोता इक बीमार चाहिए

भला और क्या प्यार चाहिए
क्या पूरा संसार चाहिए?

जो भी बाँटा, मिला आपको
बातें नहीं उधार चाहिए?

भाव हृदय का जो न समझे
तब उसका प्रतिकार चाहिए

मैं बोलूँ, वो सुनता जाए
श्रोता इक बीमार चाहिए

कितना और मनाऊँ तुमको
या फिर से तकरार चाहिए?

लोग बड़े रचना से होते
नहीं उम्र-दीवार चाहिए

विद्या देती विनय सर्वदा
छोड़ सुमन, अंगार चाहिए?

14 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया गजल है बधाई स्वीकारें।

नीला झा said...

जो भी बाँटा, मिला आपको
बातें और उधार चाहिए?

कोई और बात भी समझें
प्यार मान सम्मान चाहिए

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद
भाव हृदय का जो न समझे
तब उसको प्रतिकार चाहिए

बहुत सुंदर कविता बार बार पढ़ी (शुभ कामनाएँ)

DR. ANWER JAMAL said...

Nice .
बोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप​ के सन्दर्भ में
यह मुद्दा सबके माता पिता की इज्ज़त से जुडा है. सभी को इसपर अपना ऐतराज़ दर्ज कराना चाहिए.
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/04/manu-means-adam.html

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया सर!


सादर

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 06/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर....
छोटे बेहर की गज़ले बहुत आकर्षित करतीं हैं...

सुन्दर शेर...

सादर
अनु

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत गजल

प्रवीण पाण्डेय said...

आपकी चाह सबकी राह बने।

Kailash Sharma said...

जो भी बाँटा, मिला आपको
बातें नहीं उधार चाहिए?

....बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

***Punam*** said...

खूबसूरत गजल.....!

नीलू said...

एक श्रोता है बीमार
करोगे उसका उपचार
आपका क्या है विचार
कौंधता प्रश्न बारम्बार

Smart Indian said...

वाह!

Brijendra Singh said...

"भाव हृदय का जो न समझे
तब उसका प्रतिकार चाहिए

मैं बोलूँ, वो सुनता जाए
श्रोता इक बीमार चाहिए"

हम बीमार हैं कविता के..ऐसे ही सुनाते रहिये.. सुंदर रचना के लिए बधाई :)

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