Thursday, April 5, 2012

खुदा भी क्या मौसम देते हैं

खुशियाँ जिनको हम देते हैं
वो बदले में गम देते हैं

जख्म मिले हैं उनसे अक्सर
हम जिनको मरहम देते हैं

हैं नफरत के काबिल फिर भी
प्रीत उन्हें हरदम देते हैं

देहरी उनके दीप जलाया
जो लोगों को तम देते हैं

जिनकी वाणी में अंगारा
व्यर्थ उन्हें शबनम देते हैं

बरसातों में प्यासी धरती
खुदा भी क्या मौसम देते हैं

सबकुछ सुमन दिया अपनों को
फिर भी कहते कम देते हैं

15 comments:

विभूति" said...

बेजोड़ भावाभियक्ति....

Anupama Tripathi said...

एक एक पंक्ति भावों से ओत-प्रोत है ...
बहुत सुंदर रचना ...!
शुभकामनायें ...

सुज्ञ said...

सटीक अवलोकन करती रचना।
सम्वेदनाओं के शोषको पर मार्मिक प्रहार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बरसातों में प्यासी धरती
खुदा भी क्या मौसम देते हैं


बहुत खूबसूरत गजल

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद
एक एक शब्द पंक्ति में मोतियों की माला है

जिनकी वाणी में अंगारा
व्यर्थ उन्हें शबनम देते हैं

Brijendra Singh said...

बहुत खूब सुमन जी :)

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

वाह! क्या बात है!
इसे भी देखें-
घर का न घाट का

Ruchi Rai said...

bahut khub .... sach mein khuub surat kavita hai... padhker bahut acha lga.

ager kabhi aapko samay mile too aap mere blog per bhi ek nazar daliyega, abhi likhne ki suruwat ki hai , kuch galat ya sahi lage too zarur btaiye ga .http://zindagikekinare.blogspot.in/

Surikya

Ruchi Rai

Ruchi Rai said...

bahut khub .... sach mein khuub surat kavita hai... padhker bahut acha lga.

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Surikya

Ruchi Rai

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर श्यामल जी

जिनकी वाणी में अंगारा
व्यर्थ उन्हें शबनम देते हैं

बहुत खूब!!!!

अनु

संध्या शर्मा said...

सबकुछ सुमन दिया अपनों को
फिर भी कहते कम देते हैं
बेहतरीन रचना... हर पंक्ति लाजवाब है...

दर्शन कौर धनोय said...

सबकुछ सुमन दिया अपनों को
फिर भी कहते कम देते हैं ..

बहुत सही कहा हैं ..सारी जिन्दगी हम अपनों को देते ही रहते हैं यही जिन्दगी हैं .....

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी अजब दुनिया बनायी है ईश्वर ने।

नीलू said...

अक़्ल हर बार दिखाती थी जले हाथ अपने
दिल ने हर बार कहा आग पराई ले ले

Arun sathi said...

साधु-साधु

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