Sunday, April 15, 2012

खबरों की अब यही खबर है

देश की हालत बुरी अगर है
संसद की भी कहाँ नजर है
सूर्खी में प्रायोजित घटना
खबरों की अब यही खबर है

खुली आँख से सपना देखो
खबर कौन जो अपना देखो
पहले तोप मुक़ाबिल था, अब
अखबारों का छपना देखो

चौबीस घंटे समाचार क्यों
वही सुनाते बार बार क्यों
इस पूँजी, व्यापार खेल में
सोच मीडिया है बीमार क्यों

समाचार में गाना सुन ले
नित पाखण्ड तराना सुन ले
ज्योतिष, तंत्र-मंत्र के संग में
भ्रषटाचार पुराना सुन ले

समाचार, व्यापार बने ना
कहीं झूठ आधार बने ना
सुमन सम्भालो मर्यादा को
नूतन दावेदार बने ना

8 comments:

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " said...

बहुत अच्छा सन्देश ,हार्दिक बधाई ..

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " said...

बहुत अच्छा सन्देश ,हार्दिक बधाई ..

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर सामयिक रचना सर....
सादर.

प्रवीण पाण्डेय said...

खबर है खबर में, यही तो खबर है।

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत बढ़िया......................

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद
इस पूँजी, व्यापार खेल में
सोच मीडिया है बीमार क्यों


इस पूंजी व्यापार में नेता भी खुश क्यों

गुड्डोदादी said...

सूर्खी में प्रायोजित घटना
खबरों की अब यही खबर है


बहुत त्रास देखे जीवन में
अब नई खोज की डगर है

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