देश की हालत बुरी अगर है
संसद की भी कहाँ नजर है
सूर्खी में प्रायोजित घटना
खबरों की अब यही खबर है
खुली आँख से सपना देखो
खबर कौन जो अपना देखो
पहले तोप मुक़ाबिल था, अब
अखबारों का छपना देखो
चौबीस घंटे समाचार क्यों
वही सुनाते बार बार क्यों
इस पूँजी, व्यापार खेल में
सोच मीडिया है बीमार क्यों
समाचार में गाना सुन ले
नित पाखण्ड तराना सुन ले
ज्योतिष, तंत्र-मंत्र के संग में
भ्रषटाचार पुराना सुन ले
समाचार, व्यापार बने ना
कहीं झूठ आधार बने ना
सुमन सम्भालो मर्यादा को
नूतन दावेदार बने ना
संसद की भी कहाँ नजर है
सूर्खी में प्रायोजित घटना
खबरों की अब यही खबर है
खुली आँख से सपना देखो
खबर कौन जो अपना देखो
पहले तोप मुक़ाबिल था, अब
अखबारों का छपना देखो
चौबीस घंटे समाचार क्यों
वही सुनाते बार बार क्यों
इस पूँजी, व्यापार खेल में
सोच मीडिया है बीमार क्यों
समाचार में गाना सुन ले
नित पाखण्ड तराना सुन ले
ज्योतिष, तंत्र-मंत्र के संग में
भ्रषटाचार पुराना सुन ले
समाचार, व्यापार बने ना
कहीं झूठ आधार बने ना
सुमन सम्भालो मर्यादा को
नूतन दावेदार बने ना
8 comments:
बहुत अच्छा सन्देश ,हार्दिक बधाई ..
बहुत अच्छा सन्देश ,हार्दिक बधाई ..
सुन्दर सामयिक रचना सर....
सादर.
खबर है खबर में, यही तो खबर है।
बहुत बढ़िया......................
श्यामल
आशीर्वाद
इस पूँजी, व्यापार खेल में
सोच मीडिया है बीमार क्यों
इस पूंजी व्यापार में नेता भी खुश क्यों
सूर्खी में प्रायोजित घटना
खबरों की अब यही खबर है
बहुत त्रास देखे जीवन में
अब नई खोज की डगर है
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