Wednesday, April 25, 2012

राम तुम्हें वनवास मिलेगा

दुहराता इतिहास मिलेगा
राम तुम्हें वनवास मिलेगा

युग बदला पर हाल वही है
लेकिन रावण खास मिलेगा

मिल सकते सुग्रीव परन्तु
दुश्मन का आभास मिलेगा

और मिलेंगे कई विभीषण
वैसा नहीं समास मिलेगा

नाव बिठाये केवट शायद
बदले में संत्रास मिलेगा

लक्ष्मण, सीता साथ  भले हों
क्या वैसा एहसास मिलेगा

राम अगर तुम बदल गए तो
सदा सुमन उपहास मिलेगा

10 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

राम कहाँ मानेंगे फिर भी..

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद
भले मिलेंगे कई विभीषण
वैसा नहीं समास मिलेगा

जीवन की व्यथा
दुखों की ही कथा (क्यों )ऐसा

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

राम नहीं चूको तुम फिर भी
सुमन सदा उपहास मिलेगा

वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,...

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

Anju (Anu) Chaudhary said...

क्या कभी राम को भी वनवास मिलेगा ?????
सच में प्रश्न जटिल हैं

Rajesh Kumari said...

sab kuchh badal gaya ....bahut sundar bhaav ghazal me bahut uttam.

रंजना said...

सत्य भाई जी, राम के हिस्से सदा ही वनवास रहता आया है...परन्तु इसीमे राम का रामत्व भी अमर है, अक्षुण है..

बहुत ही सुन्दर रचना...

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " said...

वाह ,भाव -भरी गजल ... सुन्दर हार्दिक बधाई

रमा शर्मा, जापान said...

waah bahut hi sunder prashan hai

Dr. Shailja Saksena said...

bahut badhiya,,

विनोद कुमार पांडेय said...

वर्तमान सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करता एक सुन्दर रचना । बधाई

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