संस्कृति की आधार है गंगा
आमजनों का प्यार है गंगा
जीवनदायिनी, कष्ट निवारणि
विश्वासों की धार है गंगा
जीते गंगा, मरते गंगा
श्रद्धा से स्वीकार है गंगा
पाप धो रही है युग युग से
पर कुछ का व्यापार है गंगा
हरिद्वार से कोलकत्ता तक
कचरों का निस्तार है गंगा
निर्मल जल की जो धारा थी
अब लगती बीमार है गंगा
भारतवासी की माता अब
सुमन बहुत लाचार है गंगा
आमजनों का प्यार है गंगा
जीवनदायिनी, कष्ट निवारणि
विश्वासों की धार है गंगा
जीते गंगा, मरते गंगा
श्रद्धा से स्वीकार है गंगा
पाप धो रही है युग युग से
पर कुछ का व्यापार है गंगा
हरिद्वार से कोलकत्ता तक
कचरों का निस्तार है गंगा
निर्मल जल की जो धारा थी
अब लगती बीमार है गंगा
भारतवासी की माता अब
सुमन बहुत लाचार है गंगा
19 comments:
गंगा की दशा पर सुंदर भाव ....
सुंदर रचना ...!
वैभव के देखने वालों को आज की स्थिति देखना कितना दुखदायी होता है..
वाक़ई गंगा बीमार है
वाह! माँ गंगा को अर्पित आपकी शब्दांजलि ने मन मोह लिया।..बहुत बधाई।
satya vachan aaj ganga ki yahi haalat kar di hum moodh manushyon ne.bahut achcha sochniye vishay par likhi kavita.
पाप धो रही है युग युग से
पर कुछ का व्यापार है गंगा
हरिद्वार से कोलकत्ता तक
कचरों का निस्तार है गंगा
गंगा की व्यथा को खूब उभारा है ॥सुंदर गजल
क्या बात है!!
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
कल 07/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हर हर गंगे।
ganga se hee sar uthta hai..ganga se hee ser jhukata hai...kabhi garb ka hai ahsas..kabhi ek bheesan santras
आप रचना पढ़ कर न जाने किस कारण से डा॰ भूपेन हजारिका जी का गया हुआ वो अमर गीत याद आ गया ... "ओ गंगा बहती हो क्यूँ ???"
जय गंगा मईया की ...
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - लीजिये पेश है एक फटफटिया ब्लॉग बुलेटिन
बहुत सुंदर...............
तभी तो रोती है गंगा......
सादर
सही में गंगा की दशा बहुत ही ख़राब होती जा रही है...
सुन्दर भाव ..
सुंदर रचना ...
श्यामल
सदा सुखी रहो
निर्मल जल की जो धारा थी
अब लगती बीमार है गंगा
बार बार पढ़ी क्या लिखूं
तीर्थस्थान की मौज थी गंगा
माँ गंगे की पुकार कों जरूर सुनना चाहिए ... वो आज भी इंसान के उत्थान के लिए पवित्र होना चाहती है ...
सुन्दर भावपूर्ण रचना |
इस दुर्दशा से मन व्यथित हो जाता है.
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
Ganga ki dasha ka ek satya shabd chitra hai aapki ye rachna. Man ko bhigo jati hai ye Ganga
Post a Comment