हवाएं सर्द जहाँ, बेदर्द शाम हो जाए
मेरी वो शाम, तुम्हारे ही नाम हो जाए
बदन सिहरते ही बजते हैं दाँत के सरगम
करीब आ, तेरे हाथों से जाम हो जाये
घना अंधेरा मेरे दिल में और दुनिया में
तुम्हारे आने से रौशन तमाम हो जाए
छुपाना इश्क ही कबूल-ए-इश्क होता है
करो इकरार जुबां से बस काम हो जाए
सुमन हटा दे सभी चिलमन तो मिलन होगा
रहीम इश्क है, कहीं पे राम हो जाए
मेरी वो शाम, तुम्हारे ही नाम हो जाए
बदन सिहरते ही बजते हैं दाँत के सरगम
करीब आ, तेरे हाथों से जाम हो जाये
घना अंधेरा मेरे दिल में और दुनिया में
तुम्हारे आने से रौशन तमाम हो जाए
छुपाना इश्क ही कबूल-ए-इश्क होता है
करो इकरार जुबां से बस काम हो जाए
सुमन हटा दे सभी चिलमन तो मिलन होगा
रहीम इश्क है, कहीं पे राम हो जाए
11 comments:
वाह! बेहतरीन..
सदा ही की तरह उम्दा
बहुत खूब ..
खूबसूरत गज़ल
आज 03 - 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
.... आज की वार्ता में ... चलो अपनी कुटिया जगमगाएँ .ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के चर्चा मंच पर ।।
उम्दा गज़ल
बहुत खूब....
बेहतरीन गजल...
:-)
बेहतरीन गज़ल..
सरल भाषा में सुन्दर गजल.
सरल भाषा में सुन्दर गजल.
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