Tuesday, January 8, 2013

नारी है माता कभी


मैं सबसे अच्छा सुमन, खतरनाक है रोग।
हैं सुर्खी में आजकल, दो कौड़ी के लोग।।

लाज बिना जो बोलते, हो करके बेबाक।
समझे जाते आजकल, वही लोग चालाक।।

चर्चा पूरे देश में, जागा है इन्सान।
क्या नारी का अबतलक, लौट सका सम्मान?

घटनाओं पर बोलते, परम्परा के दूत।
कारण बतलाते सदा, है पश्चिम का भूत।।

नारी है माता कभी, कभी बहन का प्यार।
और प्रेयसी भी कभी, मगर उचित व्यवहार।।

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुंदर दोहे ।

गुड्डोदादी said...

सुंदर अहसास
सुंदर दोहे नारी
शुभ कामनाएँ
एक नारी

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥


* हैं सुर्खी में आजकल, दो कौड़ी के लोग
*

बहुत सही कहा आपने
आदरणीय श्यामल सुमन जी !

अच्छे दोहे कहे हैं आपने ...
हार्दिक मंगलकामनाएं !


मकर संक्रांति की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…

राजेन्द्र स्वर्णकार
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प्रवीण पाण्डेय said...

सबके लिये सहज सीख..

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