दिखता तो अपनापन है
फिर भी छोटा आँगन है
मुख पर खुशियों का विज्ञापन
पर आँखों में सावन है
खुशियों के पल और शबनम का
कितना त्वरित समापन है
माँगों में सिन्दूर भरे हैं
दिखती क्यों वैरागन है
सुमन चतुर इस युग के रावण
सचमुच राम खेलावन है
फिर भी छोटा आँगन है
मुख पर खुशियों का विज्ञापन
पर आँखों में सावन है
खुशियों के पल और शबनम का
कितना त्वरित समापन है
माँगों में सिन्दूर भरे हैं
दिखती क्यों वैरागन है
सुमन चतुर इस युग के रावण
सचमुच राम खेलावन है
7 comments:
अनुवाद
तैयो छोट आँगन अछि
अपनामे अपनापन अछि
मुहपर खुशीक विज्ञापन
मुदा नयनमे साओन अछि
खुशीक पल आ शबनमक
कतेक त्वरित समापन अछि
माँगमे सिन्दूर भरल अछि
मुदा देखाईत छथि वैरागिन
‘सुमन’ चतुर एहि युगक रावण
ठीकहि रामखेलावन अछि.
अनुवाद
तैयो छोट आँगन अछि
अपनामे अपनापन अछि
मुहपर खुशीक विज्ञापन
मुदा नयनमे साओन अछि
खुशीक पल आ शबनमक
कतेक त्वरित समापन अछि
माँगमे सिन्दूर भरल अछि
मुदा देखाईत छथि वैरागिन
‘सुमन’ चतुर एहि युगक रावण
ठीकहि रामखेलावन अछि.
अरे वाह! बहुत सुन्दर
bahut sundar rachna suman ji
बहुत प्यारी, पर कहती ढेर सारी।
सुंदर रचना
तेरे मन में राम [श्री अनूप जलोटा ]
उत्कृष्ट रचना और ठाकुर जीक द्वारा उम्दा मैथिली अनुवाद :)
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