जैसे जैसे लोग के, बदले अभी स्वभाव।
मौसम पर भी देखिए, उसके अलग प्रभाव।।
जाड़े में बारिश हुई, औ बारिश में धूप।
गरमी में पानी नहीं, बारिश हुई अनूप।।
कौन सफाई अब करे, जब मरते हैं जीव।
बर्बर मानवता सुमन, गिद्ध हुए निर्जीव।।
नीलकंठ पक्षी अभी, कहाँ देखते लोग।
सदियों से जो कर रहे, दूर फसल के रोग।।
चूहे नित करते सुमन, दाने का नुकसान।
डरे हुए हैं साँप भी, जहरीला इन्सान।।
घास कहाँ मिलते सुमन, हिरण,गाय लाचार।
शेर सहित हैं घात में, बैठे हुए सियार।।
गंगा जीवनदायिनी, आज हुई बीमार।
नदियाँ सारी सूखतीं, कारण सुमन विचार।।
मौसम पर भी देखिए, उसके अलग प्रभाव।।
जाड़े में बारिश हुई, औ बारिश में धूप।
गरमी में पानी नहीं, बारिश हुई अनूप।।
कौन सफाई अब करे, जब मरते हैं जीव।
बर्बर मानवता सुमन, गिद्ध हुए निर्जीव।।
नीलकंठ पक्षी अभी, कहाँ देखते लोग।
सदियों से जो कर रहे, दूर फसल के रोग।।
चूहे नित करते सुमन, दाने का नुकसान।
डरे हुए हैं साँप भी, जहरीला इन्सान।।
घास कहाँ मिलते सुमन, हिरण,गाय लाचार।
शेर सहित हैं घात में, बैठे हुए सियार।।
गंगा जीवनदायिनी, आज हुई बीमार।
नदियाँ सारी सूखतीं, कारण सुमन विचार।।
13 comments:
sach men insaan jahrilaa ban gayaa hai
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post मंत्री बनू मैं
LATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
.विचारणीय भावात्मक अभिव्यक्ति मन को गहराई तक उदेव्लित करती .आभार . मुलायम मन की पीड़ा साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
सुन्दर रचना, संवेदना प्रधान।
इस खुबसूरत रचना के लिए धन्यवाद ....
चूहे नित करते सुमन, दाने का नुकसान।
डरे हुए हैं साँप भी, जहरीला इन्सान।।
(मन की पीड़ा बहुत विहल )
नीक अंछी
आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 08/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
चूहे नित करते सुमन, दाने का नुकसान।
डरे हुए हैं साँप भी, जहरीला इन्सान।।
वाह बहुत ही सशक्त एवं प्रभावशाली रचना .....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (17.06.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
नमस्कार महोदय,
मैंने एक हिंदी साहित्य संकलन नामक ब्लॉग बनाया है,जिन पर साहित्यकारों की रचनाओं के संकलित किया जा रहा है,यदि आप की भी कुछ दोहे वहाँ होते तो ब्लॉग की सुंदरता बढ़ जाती.एक बार अवलोकन कर कुछ रचनाये भेजे जो आपके परिचय के साथ प्रकाशित की जायेगी .आपके पेज पर बहुत सारे उच्च कोटि की बेहतरीन दोहे हैं,वहाँ से भी संकलित की जा सकती है...एक बार अवलोकन करे.आप लोगो जैसे साहित्यकारों का योगदान चाहिए.
http://kavysanklan.blogspot.ae/
Mail-rajendra651@gmail.com
आपका स्नेहकांक्षी
राजेंद्र कुमार
सार्थक और सुंदर
बहुत सार्थक दोहे श्यामल जी बधाई
पर्यावरण और मानव का हस्तक्षेप .इस सब का हमारे जीवन पर प्रभाव सब कुच तो है इन दोहों में ।
आभाऱ ।
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