Thursday, August 29, 2013

मधुमेह और आसाराम

मधुमेह

होते हैं कुछ पल ऐसे जब नेह की बातें करते हैं।
और ऐसे पल भी आते जब देह की बातें करते हैं।
शुरू के दिन में बातें करते प्रायः सब मधुमास की,
दिन गुजरे तो अक्सर वे मधुमेह की बातें करते हैं।।


आसाराम

डालर बढ़ता जा रहा, रुपया गिरा धड़ाम।
धर्म बना व्यापार जब, गिरते आसाराम।।

10 comments:

मनोज कुमार said...

समसामयिक!

Shikha Kaushik said...

sarthak post .aabhar

वाणी गीत said...

सत्य वचन !!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

क्या बात वाह!

गुड्डोदादी said...

डालर बढ़ता जा रहा, रुपया गिरा धड़ाम
प्याज के दाम नखरे देख डालर भी परेशान

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 01/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

Asha Lata Saxena said...

बहुत सही लिखा है |
आशा

yashoda Agrawal said...

सुन्दर...
उपमा सहित असाधारण व्याख्या
सादर

कौशल लाल said...

क्या बात वाह....सुन्दर...

Onkar said...

सटीक रचना

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!