Friday, September 27, 2013

घाव सबका एक है

गीत अब तक जो भी गाया भाव सबका एक है
ये भी सच कि जिन्दगी में घाव सबका एक है

जीने के अपने तरीके जी रहा है हर कोई
जिन्दगी की राह में ठहराव सबका एक है

नेक बनने की थी चाहत वो दरिंदा क्यों बना
है गरीबी मूल में ये सुझाव सबका एक है

अर्श पे कोई तभी जब फर्श पे होता कोई
जल रहे जो पेट में वो अलाव सबका एक है

कैसे बेहतर और हो दुनिया सुमन तू सोच ले
नेक नीयत जिसकी होगी प्रभाव सबका एक है 

4 comments:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..


हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक-011

ललित वाणी पर : इक नई दुनिया बनानी है अभी

प्रवीण पाण्डेय said...

एक व्यक्तित्व ही व्यक्त करता है समस्त शब्दों का समुच्चय

रमा शर्मा, जापान said...

बहुत सुंदर रचना

रमा शर्मा, जापान said...

बहुत ही सुंदर ....घाव सब का एक है

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!