गीत अब तक जो भी गाया भाव सबका एक है
ये भी सच कि जिन्दगी में घाव सबका एक है
जीने के अपने तरीके जी रहा है हर कोई
जिन्दगी की राह में ठहराव सबका एक है
नेक बनने की थी चाहत वो दरिंदा क्यों बना
है गरीबी मूल में ये सुझाव सबका एक है
अर्श पे कोई तभी जब फर्श पे होता कोई
जल रहे जो पेट में वो अलाव सबका एक है
कैसे बेहतर और हो दुनिया सुमन तू सोच ले
नेक नीयत जिसकी होगी प्रभाव सबका एक है
ये भी सच कि जिन्दगी में घाव सबका एक है
जीने के अपने तरीके जी रहा है हर कोई
जिन्दगी की राह में ठहराव सबका एक है
नेक बनने की थी चाहत वो दरिंदा क्यों बना
है गरीबी मूल में ये सुझाव सबका एक है
अर्श पे कोई तभी जब फर्श पे होता कोई
जल रहे जो पेट में वो अलाव सबका एक है
कैसे बेहतर और हो दुनिया सुमन तू सोच ले
नेक नीयत जिसकी होगी प्रभाव सबका एक है
4 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक-011
ललित वाणी पर : इक नई दुनिया बनानी है अभी
एक व्यक्तित्व ही व्यक्त करता है समस्त शब्दों का समुच्चय
बहुत सुंदर रचना
बहुत ही सुंदर ....घाव सब का एक है
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