लाखों रावण जले देश में फिर भी हँसता है रावण
मारो जितना, नहीं मरूँगा गर्व से कहता है रावण
मेरी कितनी ऊँचाई है जा कर पुतलों में देखो
हारोगे ही चूँकि सबके दिल में बसता है रावण
एक बार सीता को हरने वेश धरा था साधु का
वैसे ही अब संत-वेश में घर घर ठगता है रावण
देश के नायक आमलोग और देश-प्रेम की बात करे
मगर खुलासा होने पर वो सचमुच दिखता है रावण
रोता है यह सुमन देखकर कैसे हैं हालात अभी
अपनी खूबी को पन्नों में देखो लिखता है रावण
मारो जितना, नहीं मरूँगा गर्व से कहता है रावण
मेरी कितनी ऊँचाई है जा कर पुतलों में देखो
हारोगे ही चूँकि सबके दिल में बसता है रावण
एक बार सीता को हरने वेश धरा था साधु का
वैसे ही अब संत-वेश में घर घर ठगता है रावण
देश के नायक आमलोग और देश-प्रेम की बात करे
मगर खुलासा होने पर वो सचमुच दिखता है रावण
रोता है यह सुमन देखकर कैसे हैं हालात अभी
अपनी खूबी को पन्नों में देखो लिखता है रावण
8 comments:
Nice post.
उन्होंने Ramayan के बारे में जो कुछ समझ लिया है। वह सब सही नहीं है।
उन्हें Ramayan के बारे में शोध करने का बहुत ज़्यादा समय भी नहीं मिल पाया। जो जानकारियां आज हमें उपलब्ध हैं। वह उन्हें अपने ज़माने में सुलभ नहीं थीं। उनकी मेहनत को सामने रखते हुए हमें भी अपने हिस्से की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए। हमारी कोशिश का मक़सद यही है।
Please see:
क्या वेद 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हज़ार साल से ज़्यादा पुराने हैं?
बहुत ही सुंदर कमाल की प्रस्तुति.!बधाई
RECENT POST : पाँच दोहे,
सुन्दर प्रस्तुति !
नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
सच मुच हरेक के दिल में बसते रावण को मारने की जरूरत है और हथियार भी हमें ही ढूढना है
These are hard times.
कल 07/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
हर मन में घर कर जाता है,
बस एक पुतला मर जाता है।
वाकई रावण तो मर गया पर उसके विचारों पर चलने वाले अब भी बहुत हैं । सच्ची दशहरा तो तभी है जब पूरी तरह से असत्य और अन्याय का विनाश हो जाये ।
सुन्दर रचना के लिए साधुवाद ।
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