Tuesday, October 22, 2013

लोहा जब होता गरम

पूजन करवा चौथ का, परम्परा व्यवहार।
समाचार चैनल इसे, बना दिया व्यापार।

दूध, तेल, सब्जी, सुमन, दाना, पान, मखान।
चीजें सब मँहगीं हुईं, सस्ता बस इन्सान।।

जीने का मक्सद सुमन, मन में गहरा प्यार।
जिस दिल में ना प्यार हो, उजड़ गया संसार।।

लोहा जब होता गरम, तभी उचित है चोट।
मौसम अभी चुनाव का, सोच समझकर वोट।।

शोक सभी को है जिसे, मत ले जा तू चौक।
हँसी उड़ायेंगे सुमन, यह लोगों का शौक।।

हाल देश का जो सुमन, लिख उसपर बेबाक।
लोकतन्त्र अब बन गया, भद्दा एक मजाक।।

बापू को श्रद्धा-सुमन, अर्पित करते आप।
दूजे बापू हैं बने, सन्तों हित अभिशाप।।

10 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बढ़िया...
सार्थक अभिव्यक्ति....

सादर
अनु

कालीपद "प्रसाद" said...

दूध, तेल, सब्जी, सुमन, दाना, पान, मखान।
चीजें सब मँहगीं हुईं, सस्ता बस इन्सान।।

जीने का मक्सद सुमन, मन में गहरा प्यार।
जिस दिल में ना प्यार हो, उजड़ गया संसार।।

बहुत सुन्दर ,सटीक अभिव्यक्ति |

कालीपद "प्रसाद" said...

दूध, तेल, सब्जी, सुमन, दाना, पान, मखान।
चीजें सब मँहगीं हुईं, सस्ता बस इन्सान।।

जीने का मक्सद सुमन, मन में गहरा प्यार।
जिस दिल में ना प्यार हो, उजड़ गया संसार।।

बहुत सुन्दर ,सटीक अभिव्यक्ति |

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

वाह क्या बात है! बहुत सुन्दर

समझो बहार आई

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत उम्दा सटीक दोहे ,,,!

RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.

Jyoti khare said...


दूध, तेल, सब्जी, सुमन, दाना, पान, मखान।
चीजें सब मँहगीं हुईं, सस्ता बस इन्सान।।----
जीवन में वर्तमान में जो भोगा जा रहा है उस यथार्थ को
बड़ी सहजता से उकेरा है, इन मत्वपूर्ण दोहों में
बहुत सुंदर
बहुत बहुत बधाई


आग्रह है---
करवा चौथ का चाँद ------

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

लोहा जब होता गरम, तभी उचित है चोट।
मौसम अभी चुनाव का,सोच समझकर वोट।।

बहुत उम्दा सटीक दोहे ,,,!

RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
साझा करने के लिए आभार।

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

प्रवीण पाण्डेय said...

सन्नाट और चोट करते शब्द..

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