भले विरासत में मिले, धन-दौलत, सामान।
लेकिन मिहनत से सदा, मिले किसी को ज्ञान।।
परम्परा से सीखकर, करते काम सटीक।
दीप जले हर देहरी, जो है ज्ञान प्रतीक।।
अगरबत्तियाँ जल रहीं, सबको यह सन्देश।
करो सुवासित कर्म से, सहकर सारे क्लेश।।
जीने को धन चाहिए, मगर साथ में ज्ञान।
सदियों तक किसकी हुई, बस धन से पहचान।।
जितने भी त्योहार हैं, करता सुमन विचार।
काल-पात्र अनुसार ये, सिखलाते व्यवहार।।
लेकिन मिहनत से सदा, मिले किसी को ज्ञान।।
परम्परा से सीखकर, करते काम सटीक।
दीप जले हर देहरी, जो है ज्ञान प्रतीक।।
अगरबत्तियाँ जल रहीं, सबको यह सन्देश।
करो सुवासित कर्म से, सहकर सारे क्लेश।।
जीने को धन चाहिए, मगर साथ में ज्ञान।
सदियों तक किसकी हुई, बस धन से पहचान।।
जितने भी त्योहार हैं, करता सुमन विचार।
काल-पात्र अनुसार ये, सिखलाते व्यवहार।।
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