सुखद अगर आते स्वजन, जाने पर बेचैन।
जब होती बेटी विदा, स्वतः बरसते नैन।।
है बेटी वो सम्पदा, छूटे कभी न मोह।
वहाँ आँख मोती झरे, होता जहाँ विछोह।।
बेटा को प्रायः रहे, अपने कुल का ध्यान।
अक्सर बेटी से बढ़े, दो दो कुल का मान।।
बेटा की चाहत लिए, फिरते कितने लोग।
लेकिन बेटी से सदा, सच्चे सुख का भोग।।
अन्तर क्यों सन्तान में, करते हैं माँ बाप।
बेटा कुल-दीपक अगर, क्यों बेटी अभिशाप।।
सामाजिक व्यवहार में, बेटा अपना खून।
जिस घर में बेटी नहीं, रहता वह घर सून।।
बेटा, बेटी जो मिले, उचित सभी पर ध्यान।
रौनक घर की बेटियाँ, सुमन करो सम्मान।।
जब होती बेटी विदा, स्वतः बरसते नैन।।
है बेटी वो सम्पदा, छूटे कभी न मोह।
वहाँ आँख मोती झरे, होता जहाँ विछोह।।
बेटा को प्रायः रहे, अपने कुल का ध्यान।
अक्सर बेटी से बढ़े, दो दो कुल का मान।।
बेटा की चाहत लिए, फिरते कितने लोग।
लेकिन बेटी से सदा, सच्चे सुख का भोग।।
अन्तर क्यों सन्तान में, करते हैं माँ बाप।
बेटा कुल-दीपक अगर, क्यों बेटी अभिशाप।।
सामाजिक व्यवहार में, बेटा अपना खून।
जिस घर में बेटी नहीं, रहता वह घर सून।।
बेटा, बेटी जो मिले, उचित सभी पर ध्यान।
रौनक घर की बेटियाँ, सुमन करो सम्मान।।
8 comments:
बेटियों के जाने का दुख बहुत होता है, सुन्दर कविता।
काफी उम्दा प्रस्तुति.....
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (05-01-2014) को "तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483" पर भी रहेगी...!!!
आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!
- मिश्रा राहुल
सुन्दर कविता..... नव वर्ष की शुभकामनाएँ....
***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक 6/01/2014 को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।
एक मंच[mailing list] के बारे में---
एक मंच हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित एक संयुक्त मंच है
इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है
उद्देश्य:
सभी हिंदी प्रेमियों को एकमंच पर लाना।
वेब जगत में हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य को सशक्त करना
भारत व विश्व में हिंदी से सम्बन्धी गतिविधियों पर नज़र रखना और पाठकों को उनसे अवगत करते रहना.
हिंदी व देवनागरी के क्षेत्र में होने वाली खोज, अनुसन्धान इत्यादि के बारे मेंहिंदी प्रेमियों को अवगत करना.
हिंदी साहितिक सामग्री का आदान प्रदान करना।
अतः हम कह सकते हैं कि एकमंच बनाने का मुख्य उदेश्य हिंदी के साहित्यकारों व हिंदी से प्रेम करने वालों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहां उनकी लगभग सभी आवश्यक्ताएं पूरी हो सकें।
एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
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सुंदर !
सम्मान होना चाहिए....पर करता कौन है ....बेहतरीन ..
badhiya likha hai ...
सहज,सुन्दर और सटीक लिखा है आपने.साधुवाद
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