Sunday, January 12, 2014

कैद मिली तो क्या हुआ?

बोले अक्सर जो अधिक, कम है उसको ज्ञान। 
ज्ञानीजन  कम  बोलते,  सुनो  लगाकर ध्यान।।

कैद  मिली  तो  क्या  हुआ, होता खूब प्रचार।
मंत्री   होते    कैद   में,   चलती   है   सरकार।।

नाकाबिल साबित हुए, पर दिखता अभिमान।
मंत्री   कम  से  कम  बने,   मंत्री  की  सन्तान।।

सूरत   पे   मुस्कान   है,  भीतर   भरा  तनाव।
युग परिवर्तन का अभी, दिखता यही  प्रभाव।।

जो   वाणी   से  कर  रहे,  परम्परा   गुणगान।
वही   तोड़ते   आजकल,  परम्परा   श्रीमान।।

अक्सर  दिख  जाता  यहाँ, बड़े  पते की बात।
जिनसे   कहते   प्रेम  है,  वही  करे  अवघात।।

सूरत  पे  मोहित  हुआ, बात  बहुत यह आम।
सुमन  यकायक  रो पड़ा, देख आचरण काम।।

2 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर !
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट लघु कथा

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,लोहड़ी कि हार्दिक शुभकामनाएँ।

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