पढ़े लिखों का घर लगता है
भाव बिना बंजर लगता है
बस, डिग्री ले घूमे, ऐसे
विद्वानों से डर लगता है
काम उलट, भाषण ओजस्वी
मर जाऊँ, सुनकर लगता है
खाल निकाले बाल की हरदम
यह उनको सुन्दर लगता है
सुमन यही कारण भारत का
अब ऐसा मंजर लगता है
भाव बिना बंजर लगता है
बस, डिग्री ले घूमे, ऐसे
विद्वानों से डर लगता है
काम उलट, भाषण ओजस्वी
मर जाऊँ, सुनकर लगता है
खाल निकाले बाल की हरदम
यह उनको सुन्दर लगता है
सुमन यही कारण भारत का
अब ऐसा मंजर लगता है
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