दूसरों की शर्त्त पे, जीने की आदत है नहीं
टूट जाए दिल किसीका ऐसी फितरत है नहीं
जाने अनजाने सभी को प्यार होना लाजिमी
प्यार मिलने पर कहे क्यों ये हकीकत है नहीं
आते ही घर, पूछ ले बस, हाल कैसा आपका
क्यों बुजुर्गों ने कहा अब ऐसी किस्मत है नहीं
आज बच्चों से अधिक माँ-बाप को पढ़ना पड़े
ज्ञान का बस दान होता ये तिजारत है नहीं
जेब खाली है मगर मुस्कान होठों पर लिए
इस तरह जीते हैं कितने क्या इजाजत है नहीं
मौत, जीवन की सहेली पास जाते रात-दिन
जिन्दगी खुद से मिटाने की जरूरत है नहीं
किस तरफ जाना सुमन को है पता करना कठिन
राह चुन लो, जिन्दगी से, फिर शिकायत है नहीं
टूट जाए दिल किसीका ऐसी फितरत है नहीं
जाने अनजाने सभी को प्यार होना लाजिमी
प्यार मिलने पर कहे क्यों ये हकीकत है नहीं
आते ही घर, पूछ ले बस, हाल कैसा आपका
क्यों बुजुर्गों ने कहा अब ऐसी किस्मत है नहीं
आज बच्चों से अधिक माँ-बाप को पढ़ना पड़े
ज्ञान का बस दान होता ये तिजारत है नहीं
जेब खाली है मगर मुस्कान होठों पर लिए
इस तरह जीते हैं कितने क्या इजाजत है नहीं
मौत, जीवन की सहेली पास जाते रात-दिन
जिन्दगी खुद से मिटाने की जरूरत है नहीं
किस तरफ जाना सुमन को है पता करना कठिन
राह चुन लो, जिन्दगी से, फिर शिकायत है नहीं
5 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 05-06-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1634 में दिया गया है
आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
श्यामल आशीर्वाद
आते ही घर पूछ ले बस हाल कैसा आपका
क्यों बुजुर्गों ने कहा कि ऐसी किस्मत है नहीं|
बजुर्ग ठीक ही कह गये
मौत, जीवन की सहेली पास जाते रात-दिन
जिन्दगी खुद से मिटाने की जरूरत है नहीं...
बहुत बढ़िया
बहुत सुन्दर.
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