रिश्ते में वह भाई है
छूरी बिना कसाई है
घर मेरे आलम गम का
उनके घर शहनाई है
कहते मेरी खुशियों को
सौतन बनकर आई है
समझ न पाया हूँ अबतक
क्यों मुझसे रानाई है
कहते मेरी बातों पर
सुमन बड़ा सौदाई है
छूरी बिना कसाई है
घर मेरे आलम गम का
उनके घर शहनाई है
कहते मेरी खुशियों को
सौतन बनकर आई है
समझ न पाया हूँ अबतक
क्यों मुझसे रानाई है
कहते मेरी बातों पर
सुमन बड़ा सौदाई है
1 comment:
बहुत सुंदर कृति
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