अभिनय कौशल प्रेम का, लेकिन मन में खोट।
परदा जब सच का हटे, सुमन हृदय में चोट।।
जीवन चलता प्रेम से, सदा सुमन रख ध्यान।
प्रेम बहुत अनमोल है, नहीं करो अपमान।।
उतर सके जो आँख से, हो दिल में अहसास।
ऐसे प्रेमी पर सुमन, कर सकते विश्वास।।
इक दूजे की आँख से, जाने कुशल व छेम।
कौशल कैसा प्रेम में, सुमन कुशल हो प्रेम।।
खोना पाना कुछ नहीं, प्रेम नहीं व्यापार।
त्याग-समर्पण ही सुमन, प्रेम-जगत आधार।।
परदा जब सच का हटे, सुमन हृदय में चोट।।
जीवन चलता प्रेम से, सदा सुमन रख ध्यान।
प्रेम बहुत अनमोल है, नहीं करो अपमान।।
उतर सके जो आँख से, हो दिल में अहसास।
ऐसे प्रेमी पर सुमन, कर सकते विश्वास।।
इक दूजे की आँख से, जाने कुशल व छेम।
कौशल कैसा प्रेम में, सुमन कुशल हो प्रेम।।
खोना पाना कुछ नहीं, प्रेम नहीं व्यापार।
त्याग-समर्पण ही सुमन, प्रेम-जगत आधार।।
5 comments:
बहुत सुंदर रचना :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (08-11-2014) को "आम की खेती बबूल से" (चर्चा मंच-1791) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
अति सूधो सनेह को मारग है जहँ नेकु सयानप बाँक नहीं !
Ekdum sach baat.Bahut badia.
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