जो खुद को ज्ञानी कहता है
आँसू को पानी कहता है
रोज बटोरा, भरी तिजोरी
अपने को दानी कहता है
माँगा उसने, दिया सहारा
उसको मनमानी कहता है
जोश जोश में कदम उठाया
फिर क्यों नादानी कहता है
काम सुमन के हैं अच्छे पर
उसको बेमानी कहता है
आँसू को पानी कहता है
रोज बटोरा, भरी तिजोरी
अपने को दानी कहता है
माँगा उसने, दिया सहारा
उसको मनमानी कहता है
जोश जोश में कदम उठाया
फिर क्यों नादानी कहता है
काम सुमन के हैं अच्छे पर
उसको बेमानी कहता है
9 comments:
कित्ता सही - ज्ञानी आंसू को पानी कहता है। परम ज्ञानी कहता है हाइड्रोजन क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड का मिश्रण। :-(
काम सुमन के सारे अच्छे
उसको बेमानी कहता है
....अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया
अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया
अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया
अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया
Badia kavita hai. Kafi achi sikh di gai hai.
बहुत सुन्दर !
विस्मित हूँ !
बहुत खूब लिखा
बहुत सुन्दर है सर
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