Sunday, December 7, 2014

आँसू को पानी कहता है

जो खुद को ज्ञानी कहता है
आँसू को पानी कहता है

रोज बटोरा, भरी तिजोरी
अपने को दानी कहता है

माँगा उसने, दिया सहारा
उसको मनमानी कहता है

जोश जोश में कदम उठाया
फिर क्यों नादानी कहता है

काम सुमन के हैं अच्छे पर
उसको बेमानी कहता है

9 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

कित्ता सही - ज्ञानी आंसू को पानी कहता है। परम ज्ञानी कहता है हाइड्रोजन क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड का मिश्रण। :-(

कविता रावत said...

काम सुमन के सारे अच्छे
उसको बेमानी कहता है
....अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया

कविता रावत said...

अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया

कविता रावत said...

अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया

कविता रावत said...

अपने जैसे ही नज़र जो आते हैं.।
बहुत बढ़िया

anusia said...

Badia kavita hai. Kafi achi sikh di gai hai.

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर !
विस्मित हूँ !

रश्मि शर्मा said...

बहुत खूब लि‍खा

शिव राज शर्मा said...

बहुत सुन्दर है सर

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