Wednesday, March 18, 2015

ऐसे भी और वैसे भी

गड्ढे में तो गिरना ही था, ऐसे भी और वैसे भी
शादी मुझको करना ही था, ऐसे भी और वैसे भी

भाई बहन से किया शरारत बचपन में शैतान बहुत
बीबी से तो डरना ही था, ऐसे भी और वैसे भी

कई लोग ससुराल में बसते मेरे घर ससुराल बसा
बिना मौत के मरना ही था, ऐसे भी और वैसे भी

आज़ादी का ख्वाब देखते शादी कर के यार मेरे
कैद तुम्हें तो चुनना ही था, ऐसे भी और वैसे भी

निडर सुमन होकर मंचों पर ऐसी रचना पढ़ जाते
घर में तो चुप रहना ही था, ऐसे भी और वैसे भी 

2 comments:

गुड्डोदादी said...

i am the master king of the house

शिव राज शर्मा said...

क्या बात है बहुत विनोदपूर्ण रचना है

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