घटिया खाना, गन्दगी, TRAIN चले नित LATE।
फिर लोगों में HOPE क्यों, निकले TRAIN BULLET।।
मँहगाई सुरसा बनी, बढ़ती जाती RATE।
रोटी शायद ना मिले, मिले मुफ्त में NET।।
RATE बढ़ा हर चीज का, घटा MAN का RATE।
बिके जिस्म हर RATE पर, लगी आग जब पेट।।
जो OPPOSE में आजञ तक, कल हो जाते SET।
इसी तरह LEADER करे, PEOPLE का आखेट।।
जहाँ EMOTION जो हुआ, कर देता UPDATE।
WRITER से ज्यादा सुमन, READER होता GREAT।।
4 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5-3-2015 को चर्चा मंच पर हम कहाँ जा रहे हैं { चर्चा - 1908 } पर दिया जाएगा
धन्यवाद
हिंगलिश English जोड़ कर बुना ताफ़्ता रंग,
सुमन,मसखरी कर रहे तुम दोहों के संग .
मंहगाई सुरसा बनी, बढती जाती Rate
रोटी शायद ना मिले, मिले मुफ्त में Net
बहुत बढ़िया...सुमन जी.
भाषा चाहे जो भी हो , अपनी हिंदी ग्रेट
बढ़ कर आलिंगन करे, उर में लेइ समेट ।।
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