Friday, April 17, 2015

बिखरा हुआ समाज दिखा

प्यार  और  नफरत  समझाने,  का  बेहतर  अंदाज  दिखा
बातें  जितनी  अच्छी  करते, उलट  आँख  में  राज  दिखा

सर्वश्रेष्ठ   कहते   मानव  को,  जीवों   की  इस  दुनिया  में
सामाजिक  हैं  जीव  हमारा, बिखरा  हुआ  समाज  दिखा

देखा,  समझा,  महसूसा  भी, दशकों  से  इस  दुनिया को
हाल  दिखा  न  बदतर  ऐसा, जैसा  सचमुच  आज दिखा

शोषण  करते  अब  सेवक  ही, शासन  भी  शीतल घर से
आजतलक उनकी आँखों में, कभी किसी को लाज दिखा

आग  लगी  बाहर  जलने  दो, अपना  घर  तो  बचा हुआ
इसीलिए तो सुमन को केवल, लोक-जागरण काज दिखा

4 comments:

कविता रावत said...

आग लगी बाहर जलने दो अपना घर तो बचा हुआ
इस कारण से सुमन को शायद केवल अपना काज दिखा
.. बहुत सटीक! हाल है .....अपनी बनी रही बस यही भूल किये जाते रहना दुखद पहलु हैं

कविता रावत said...

आग लगी बाहर जलने दो अपना घर तो बचा हुआ
इस कारण से सुमन को शायद केवल अपना काज दिखा
.. बहुत सटीक! हाल है .....अपनी बनी रही बस यही भूल किये जाते रहना दुखद पहलु हैं

Onkar said...

सटीक रचना

गुड्डोदादी said...

सेवक ही शोषण करते और शासन भी शीतल घर से

आग लगी बाहर जलने दो अपना घर तो बचा हुआ
ऐसा क्या पहली बार दिखा

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