गफलत में जीने वालों के, एहसास जगाने आ जाओ
पलकें जागी जो सदियों से, एक बार सुलाने आ जाओ
जब तुम से हुई जुदाई तो, आँसू ने साथ नहीं छोड़ा
इक बार गुजारिश मेरे सँग, आँसू में नहाने आ जाओ
मिल जाते सपनों में आकर, ये मिलना भी क्या मिलना है
इक आग विरह की दिल में जो, उसको सुलगाने आ जाओ
मजबूर हैं हम मजबूर हो तुम, ये जीना भी क्या जीना है
ऐसी - तैसी मजबूरी की, दुनिया को दिखाने आ जाओ
जो साथ सुमन का न पाया, वो कीमत इसकी क्या जाने
प्रियतम से यही खुशामद कि, इक बार सताने आ जाओ
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