त्योहारों का मौसम आया
ऐसा लगता मातम आया
खूब किया मिहनत-मजदूरी
लेकिन पैसा घर कम आया
कितनों के घर मोटर गाडी
मेरे घर में टमटम आया
हँसी ओढ़ जीने की कोशिश
जीवन में क्या आलम आया
सूरज दुनिया करता रौशन
मेरे घर में क्यूँ तम आया
हालत मिलकर ही बदलेंगे
अलग हुए तो ये गम आया
जाग रही अब नयी चेतना
सुमन हृदय में दमखम आया
2 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (20-10-2015) को "हमारा " प्यार " वापस दो" (चर्चा अंक-20345) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
>> आया जीता किसी का पिउ..,
किसी के घर पैट्रोल पम आया.....
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