दिल में उतरा आंख से, शायद पहली बार।
खोजा सबकुछ पर मिला, मुझे प्यार ही प्यार।।
भाव प्रेम को शीर्ष दे, और मिलन उत्कर्ष।
एक छुअन से भर गया, हृदय हर्ष ही हर्ष।।
अभिनय करके प्यार का, रोज बढाना मेल।
त्याग, समर्पण भूलकर, बना प्यार अब खेल।।
मुश्किल था कहना कभी, मुझको तुमसे प्यार।
अब तो झट से बोलते, कदम चले संग चार।।
प्रेम जताना बोल के, क्योंकर बारम्बार।
सिले होंठ से बोलता, आपस का व्यवहार।।
भौतिकता से है परे, यह मन का विज्ञान।
लुटा रहे प्रेमी सदा, इक दूजे पर जान।।
पहले खुद से प्यार कर, तब दूजे से प्यार।
सुमन तभी प्यारा लगे, प्यार भरा संसार।।
खोजा सबकुछ पर मिला, मुझे प्यार ही प्यार।।
भाव प्रेम को शीर्ष दे, और मिलन उत्कर्ष।
एक छुअन से भर गया, हृदय हर्ष ही हर्ष।।
अभिनय करके प्यार का, रोज बढाना मेल।
त्याग, समर्पण भूलकर, बना प्यार अब खेल।।
मुश्किल था कहना कभी, मुझको तुमसे प्यार।
अब तो झट से बोलते, कदम चले संग चार।।
प्रेम जताना बोल के, क्योंकर बारम्बार।
सिले होंठ से बोलता, आपस का व्यवहार।।
भौतिकता से है परे, यह मन का विज्ञान।
लुटा रहे प्रेमी सदा, इक दूजे पर जान।।
पहले खुद से प्यार कर, तब दूजे से प्यार।
सुमन तभी प्यारा लगे, प्यार भरा संसार।।
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