Monday, November 2, 2015

तो दिन में रात भी होगी

हमारे गीत में मरते कृषक की बात भी होगी
कभी सूखे की चर्चा तो कभी बरसात भी होगी
सभी बातें जमाने की कभी साकी कभी शबनम
कहीं रातों में दिन होगा तो दिन में रात भी होगी

सुना, कहते हुए मां बाप को, मजबूरियां बेटी
बहुत सहती कहीं करती है कुछ नादानियां बेटी
मगर ससुराल में मां बाप की इज्जत बढाने को
दिया है अब तलक और दे रही कुर्बानियां बेटी

नहीं कुछ प्यार में मेरा, कहानी भी तेरी होगी
हकीकत तुम मुहब्बत की, जुबानी भी तेरी होगी
खुली या बन्द आँखों से तुझे देखूं तो ये लगता
निशाना भी तेरा होगा, निशानी भी तेरी होगी

तुम्हारे साथ जीने को अगर इक रैन मिल जाए
खुशी नाचेगी आँगन में दिलों को चैन मिल जाए
अभीतक हो सका मुमकिन नहीं आगे भरोसा क्या
गुजारिश इस तरह आओ कि मुझ से नैन मिल जाए

तरस जाता है मेरा मन तेरी आवाज सुनने को
तुम्हारे साथ बीता कल उसे फिर आज सुनने को
हजारों गम सहे तुमने, कभी सपनों में आओ माँ
इधर व्याकुल सुमन तुमसे गमों के राज सुनने को

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!