हमारे गीत में मरते कृषक, की बात भी होगी
कभी सूखे की चर्चा तो, कभी बरसात भी होगी
सभी बातें जमाने की, कभी साकी कभी शबनम
कहीं रातों में दिन होगा, तो दिन में रात भी होगी
सुना कहते हुए माँ- बाप को, मजबूरियां बेटी
बहुत सहतीं अगर करतीं हैं, कुछ नादानियां बेटी
मगर ससुराल या नैहर की, इज्जत बढ़ाने को
दिया है अब तलक और, दे रही कुर्बानियां बेटी
नहीं कुछ प्यार में मेरा, कहानी भी तेरी होगी
हकीकत तुम मुहब्बत की, जुबानी भी तेरी होगी
खुली या बन्द आँखों से, तुझे देखूं तो ये लगता
निशाना भी तेरा होगा, निशानी भी तेरी होगी
तुम्हारे साथ जीने को, अगर इक रैन मिल जाए
खुशी नाचेगी आँगन में, दिलों को चैन मिल जाए
अभीतक हो सका मुमकिन नहीं, आगे भरोसा क्या
गुजारिश ऐसे आओ तुम, कि मुझ से नैन मिल जाए
तरस जाता है मेरा मन, तेरी आवाज सुनने को
तुम्हारे साथ बीते कल को, फिर से आज सुनने को
हजारों गम सहे तुमने, कभी सपनों में आओ माँ
सुमन व्याकुल है तुमसे फिर, गमों के राज सुनने को
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