Sunday, January 3, 2016

फिर मात निराली है

वो शोख अदा तेरी हर बात निराली है
कजरारी आँखों में बरसात निराली है

शरमा के चांद छुपता जा करके बादल में
जब आँगन तुम आती वो रात निराली है

रंगीन बहुत दुनिया बेरंग तभी लगती
वो तेरी जुदाई की सौगात निराली है

मैं चांद सितारे भी ना तोड के ला पाऊं 
तुम यादों में मेरी औकात निराली है

बस प्यार तेरा पाना मकसद है जीने का
जो नहीं सुमन मुमकिन फिर मात निराली है

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