वो शोख अदा तेरी हर बात निराली है
कजरारी आँखों में बरसात निराली है
शरमा के चांद छुपता जा करके बादल में
जब आँगन तुम आती वो रात निराली है
रंगीन बहुत दुनिया बेरंग तभी लगती
वो तेरी जुदाई की सौगात निराली है
मैं चांद सितारे भी ना तोड के ला पाऊं
तुम यादों में मेरी औकात निराली है
बस प्यार तेरा पाना मकसद है जीने का
जो नहीं सुमन मुमकिन फिर मात निराली है
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