Sunday, January 3, 2016

इस प्यार की बस्ती में बसता रसूल है

कपडे फटे तो सीख लो सीने का फलसफा
जैसे कि रोज सीखते जीने का फलसफा
खुशियों के साथ गम से भी पडता है वास्ता
लेकिन कभी ना सीखना पीने का फलसफा

चेहरे से लग रहा कि शिकायत है जिन्दगी
कुछ बात करे यूं कि अदावत है जिन्दगी
गम और खुशी के बीच में चुनना सदा खुशी
बस गौर से सोचो तो मुहब्बत है जिन्दगी

आते ही उसने ऐसा कई काम कर दिया
सपनों को बेचने का इन्तजाम कर दिया
टूटी सभी की आशा पर ये हुआ नया
आपस के भाईचारे को नीलाम कर दिया

राहे वफा पे चलना ही मेरा उसूल है
कांटे हैं रस्ते प्यार के मुझको कबूल है
दुनिया से बडा दायरा है प्यार का सुमन
इस प्यार की बस्ती में बसता रसूल है

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